जिला आयोग ने साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे जीएम, दुर्ग स्टेशन मास्टर और बिलासपुर जीआरपी थाना प्रभारी को मुआवजा देने का आदेश दिया। लेकिन रेलवे ने राज्य आयोग में अपील की और जिला आयोग के आदेश को चुनौती दी। राज्य आयोग ने जिला आयोग का फैसला पलट दिया।
इसके बाद चतुर्वेदी ने एनसीडीआरसी में पुनरीक्षण याचिका दायर की। उनका कहना था कि टीटीई और रेलवे पुलिस कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 'अनधिकृत व्यक्तियों' को आरक्षित डिब्बे में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई। उनके वकील ने दलील दी कि चोरी हुआ सामान विधिवत रूप से जंजीर से बंधा हुआ था और लापरवाही के मामले में धारा 100 का बचाव नहीं किया जा सकता।
रेलवे ने तर्क दिया कि रेलवे अधिनियम की धारा 100 के तहत, उसके प्रशासन को नुकसान, नष्ट होने या खराब होने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है जब तक कि किसी रेलवे कर्मचारी ने सामान बुक न किया हो और रसीद न दी हो। लेकिन एनसीडीआरसी ने रेलवे की दलील को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे को आरक्षित डिब्बे में यात्रा करने वाले यात्रियों और उनके सामान की देखभाल की जिम्मेदारी बनती है।
एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा, '...यह निष्कर्ष निकाला गया है कि चोरी के लिए रेलवे उत्तरदायी है, और रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण याचिकाकर्ता (यात्री) को प्रदान की गई सेवा में कमी थी।' एनसीडीआरसी ने रेलवे पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
इसके बाद चतुर्वेदी ने एनसीडीआरसी में पुनरीक्षण याचिका दायर की। उनका कहना था कि टीटीई और रेलवे पुलिस कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 'अनधिकृत व्यक्तियों' को आरक्षित डिब्बे में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई। उनके वकील ने दलील दी कि चोरी हुआ सामान विधिवत रूप से जंजीर से बंधा हुआ था और लापरवाही के मामले में धारा 100 का बचाव नहीं किया जा सकता।
रेलवे ने तर्क दिया कि रेलवे अधिनियम की धारा 100 के तहत, उसके प्रशासन को नुकसान, नष्ट होने या खराब होने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है जब तक कि किसी रेलवे कर्मचारी ने सामान बुक न किया हो और रसीद न दी हो। लेकिन एनसीडीआरसी ने रेलवे की दलील को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे को आरक्षित डिब्बे में यात्रा करने वाले यात्रियों और उनके सामान की देखभाल की जिम्मेदारी बनती है।
एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा, '...यह निष्कर्ष निकाला गया है कि चोरी के लिए रेलवे उत्तरदायी है, और रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण याचिकाकर्ता (यात्री) को प्रदान की गई सेवा में कमी थी।' एनसीडीआरसी ने रेलवे पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।