उज्जैन । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि एससी, एसटी एवं ओबीसी छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से ही किया जाए। किसी भी स्थिति में बिना पोर्टल के छात्रवृत्ति नहीं दी जाए। छात्रवृत्ति से संबंधित विसंगतियों को दूर कर एकरूपता लाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह निर्देश गत दिवस भोपाल मंत्रालय में एससी, एसटी एवं ओबीसी छात्रवृत्ति प्रक्रिया और पोर्टल की एकरूपता के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में दिए। जनजातीय कार्य, अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति कल्याण और जनजातीय कार्य श्रीमती पल्लवी जैन गोविल तथा संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएँ बर्दाश्त नहीं होंगी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि छात्रवृत्ति वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितताएँ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनियमितता करने वाले व्यक्तियों एवं संस्थाओं पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। छात्रवृत्ति का वितरण तर्कसंगत ढंग से सुनिश्चित करें। बच्चों की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो।
तकनीकी का बेहतर ढंग से करें उपयोग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि तकनीकी का बेहतर ढंग से उपयोग सुनिश्चित करें। आज हमारे पास वह तकनीकी है, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितताएँ होने की संभावना नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि छात्रवृत्ति से संबंधित समस्याओं की जाँच करा ली जाए एवं किसी भी प्रकार की गड़बड़ न हो। यदि छात्रवृत्ति का भुगतान अनियमित ढंग से कर दिया गया है तो उसकी वसूली की कार्यवाही की जाए। छात्रवृत्ति स्वीकृति एवं भुगतान की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सरल बनाया जाए।
प्रवेश के बिना छात्रवृत्ति का भुगतान न हो
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए संबंधित विभाग पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करें। बगैर प्रवेश प्रक्रिया के छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं करें। निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए जिन छात्रों का प्रवेश होगा, उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाए। छात्रवृत्ति के लिए बनाए गए निर्धारित कैलेण्डर का पालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने छात्रवृत्ति दरों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाविद्यालयों के विभिन्न शुल्क नियमानुसार ही लिए जाएँ। विभिन्न विभागों के बीच मापदण्डों में भिन्नता को कम किया जाए।