अमेरिका में सूर्य ग्रहण देखने जेल से छूटेंगे कैदी आज दिन में 4 मिनट तक छाएगा अंधेरा

Updated on 08-04-2024 01:11 PM

मैक्सिको में आज सुबह 11 बजते ही दिन में अंधेरा छा जाएगा। इसी के साथ साल के पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी। पूर्ण सूर्य ग्रहण का असर मैक्सिको के साथ-साथ अमेरिका में भी होगा। जहां ग्रहण के रास्ते में पड़ने वाले कम से कम 12 राज्यों में करीब 4 मिनट 28 सेकेंड तक दिन में अंधेरा रहेगा।

ग्रहण को लेकर अमेरिका में क्रेज इतना है कि न्यूयॉर्क शहर में 6 कैदियों को इसे देखने के लिए रिहा किया जाने का फैसला लिया गया है। इन कैदियों ने अर्जी डाली थी कि इन्हें ग्रहण देखने दिया जाए।

टाइम मैग्जीन के मुताबिक अमेरिका में सूर्य ग्रहण को लेकर 13 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है। सूर्य ग्रहण के रूट में पड़ने वाले विमानों में टिकट की मांग 1500% तक बढ़ गई है।

इससे पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण 7 साल पहले 2017 में लगा था। तब 2 मिनट तक दिन में अंधेरा छाया रहा था। इस बार के सूर्य ग्रहण का असर ज्यादा होगा ये ज्यादा इलाकों में दिखाई देगा। अमेरिका में अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण 2045 में लगेगा।

क्या होता है सूर्य ग्रहण?
गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर लगाती है। चंद्रमा एक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।

पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती है। इसे सूर्यग्रहण कहते हैं।

ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है। हर 18 महीने में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण जरूर लगता है।

लुइजियाना युनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर ब्रेडली शेफर कहते हैं कि हजारों सालों से इंसान ने आसमान को या तो डर या सम्मान से देखा है। पहले के समय में लगभग हर सभ्यता में सूरज को भगवान का दर्जा मिला है। इसलिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी घटनाओं के कई किस्से और कहानियां हैं।

26 हजार साल पहले सूर्य ग्रहण ने रुकवाई जंग
करीब 2,622 साल पहले 28 मई 585 ईसा पूर्व की बात है। तुर्किये में हेलिस नदी के किनारे मेडेस और लिडिया नाम के 2 ताकतवर साम्राज्यों के बीच जंग छिड़ थी। ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस के मुताबिक मेडेस के राजा ने कुछ शिकारियों का अपमान किया था। बदला लेने के लिए शिकारियों ने राजा के बेटे की हत्या कर दी और भागकर पड़ोसी साम्राज्य लिडिया में पनाह ले ली।

जब मेडेस के राजा ने बेटे के हत्यारों को सौंपने को कहा तो लिडिया के राजा ने इनकार कर दिया। इस बात पर नाराज होकर मेडेस ने लिडिया के खिलाफ जंग छेड़ दी। 6 साल गुजरने के बावजूद जंग रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस लिखते हैं, “एक रोज जब दोनों सेनाएं कत्लेआम में जुटी थीं कि अचानक दिन में ही अंधेरा छाने लगा। वो दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण का था। इस बदलाव को देखकर मेडेस और लिडियंस हैरान रह गए और उसी दिन जंग रोकने का फैसला कर लिया।”

सूर्य ग्रहण का अनुमान नहीं लगा पाए तो 2 ज्योतिषियों को मिली 'सजा ए मौत'
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक 4156 साल पहले 22 अक्टूबर 2134 ईसा पूर्व चीन में 2 ज्योतिषियों को मौत की सजा दी गई थी। इसकी वजह ये थी कि वो सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करने में नाकामयाब रहे थे।

उस वक्त चीन में मान्यता था कि सूर्य ग्रहण के दिन राजा की मौत हो जाती है। इसलिए ग्रहण की जानकारी देने के लिए महल में 2 ज्योतिषी रखे जाते थे।

ऐसी ही मान्यता मेसोपोटेमिया में भी थी। वहां के लोगों का मानना था कि सूर्य ग्रहण लगने के 100 दिन भीतर राजा मारा जाएगा। ऐसे में मौत से बचने के लिए राजा कुछ समय तक भाग जाता था और दूर दराज के इलाकों में किसान का भेष बनाकर रहता था।

इन 100 दिनों तक राजा की गद्दी पर किसी अपराधी को रखा जाता था, ताकि अगर मौत आए तो वो अपराधी मारा जाए। एक बार कुछ उलटा ही हुआ। 3,872 साल पहले 1850 ईसा पूर्व किसान बने राजा की मौत हो गई और अपराधी राजा की गद्दी पर कायम रहा।

सूरज थोड़ा भी बड़ा होता तो नहीं होता पूर्ण सूर्य ग्रहण
ग्रहण न सिर्फ आंखों के लिए अजूबा है बल्कि इससे पृथ्वी से जुड़े कई राज खुले हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैबाइन स्टेनली के मुताबिक पूर्ण सूर्य ग्रहण एक अजूबा है। इसमें हमसे लगभग 14 लाख किलोमीटर में फैला एक आग का गोला यानी सूरज, एक 3,379 किलोमीटर बड़े चट्टान का गोले यानी चांद से ढंका जाता है।

प्रोफेसर के मुताबिक अगर सूरज थोड़ा और बड़ा और पृथ्वी के थोड़ा और नजदीक होता तो पूर्ण सूर्य ग्रहण कभी नहीं लगता। ये इत्तेफाक ही है कि सूरज की साइज और उसकी दूरी उतनी ही है कि वो ग्रहण के वक्त पूरी तरह से चांद से ढंक जाता है।

इतिहास में दर्ज हुए ग्रहण से पता चला है कि हमारी पृथ्वी की घूमने की स्पीड में बदलाव आए हैं। वैज्ञानिकों ने जब पृथ्वी के घूमने की स्पीड से पिछले ग्रहणों की तारीख मैच की तो उसमें फर्क दिखाई दिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक स्पीड पर असर का मतलब है कि हमारी पृथ्वी के साइज और शेप में असर हुआ है।



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