भोपाल । भारतीय रेलवे ने चौथी रेल लाइन बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है। बरखेड़ा-बुधनी के बीच चौथी रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड द्वारा दिया गया है लेकिन अभी तक अटका हुआ है। अभी इस रेलखंड में तीसरी रेल लाइन बिछाने का काम चल रहा है। यह दुर्गम पहाड़ी व घने वन क्षेत्र वाला रेलखंड है। जिस पर रेलवे को पांच साल के इंतजार के बाद तीसरी रेल लाइन बिछाने की अनुमति मिली थी। जिसमें मप्र वन्यप्राणी विभाग ने कई तरह की शर्ते लगाई हैं। इसी रेल खंड में चौथी रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया था जिसे सहमति नहीं दी है। बता दें कि भविष्य में जिस तरह से नई दिल्ली-चेन्न्ई रेलमार्ग पर यात्री और गुड्स ट्रेनों का दबाव है जिसके चलते ही बीना से इटारसी तक तीसरी रेल लाइन बिछाई गई है।
भविष्य की इस जरूरत और जंगल वाले रेलखंड में रेल लाइन बिछाने की अनुमति लेने के लिए लगने वाले समय व शर्तों को देखते हुए पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों ने रेलखंड में तीसरे रेल लाइन बिछाने के साथ ही चौथी रेल लाइन की अनुमति मांगी थी जो रेलवे बोर्ड नहीं नहीं दी है। नए सिरे से रेल लाइन को मंजूरी मिलने और फिर निर्माण के लिए मप्र वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति लेने में वर्षों लगेंगे। चौथी रेल लाइन को बोर्ड से अनुमति नहीं मिलने की पुष्टि रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की है। बरखेड़ा-बुधनी रेलवे ट्रैक रातापानी वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है जहां बाघ, तेंदुए समेत सभी प्रकार के वन्यप्राणियों का मूवमेंट रहता है। बीते वर्षों में 12 से अधिक बाघ, तेंदुए, भालू, नीलगाय समेत दूसरे वन्यप्राणियों की ट्रेन के सामने आने से मौतें हो चुकी हैं।
ऐसे क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर सख्ती से प्रतिबंध रहता है। ऐसे इलाकों में किसी भी तरह की अनुमति वाइल्ड लाइफ बोर्ड द्वारा दी जाती है जो आसानी से नहीं मिलती है। उक्त रेल मार्ग पर पहले से गुड्स और यात्री ट्रेनों का दबाव करीब 150 गुना अधिक था जिसे देखते हुए तीसरी रेल लाइन बिछा दी थी। फिर भी दबाव बना हुआ है। हालांकि तुरंत चौथी लाइन की जरूरत नहीं पड़ रही है लेकिन अगले 5 से 10 साल में जरूरत पड़ना तय है। तब बरखेड़ा- बुधनी रेलखंड में लाइन बिछाने की अनुमति लेने की शुरूआत की तो काफी वक्त लगेगा।