राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर स्टारर फिल्म 'आराधना' अपने समय की ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। ये फिल्म 1946 में आई फिल्म 'टू ईच हिज ओन' पर आधारित थी। 'आराधना' उन दिनों सिनेमाघरों में 100 दिनों तक चलने वाली पहली हिंदी फिल्म थी। इतना ही नहीं इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर दोनों को फिल्मफेयर अवार्ड्स मिले थे।
इस फिल्म की सफलता को देखते हुए इसकी तमिल और तेलुगु में रीमेक बनाई गई थी। ये फिल्म भारत के सिनेमाघरों में 3 साल तक चली और पूरे भारत में प्लैटिनम जुबली हिट रही है। आराधना को राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर के करियर की हिट फिल्मों में से एक माना जाता है। इसके बाद दोनों ने साथ में कई फिल्में कीं। फिल्म का गाना 'मेरे सपनों की रानी' खूब पसंद किया गया था।
फिल्म आराधना 1968 में शूट हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग मुंबई और दार्जिलिंग में हुई थी। उन दिनों राजेश साहब एक साथ कई फिल्मों में काम कर रहे थे। उन्होंने अपनी डेट्स 12 डायरेक्टर को दे रखी थी। इसी वजह से फिल्म की एक्ट्रेस शर्मिला दार्जिलिंग में शूट नहीं कर पाईं थी। वहां केवल राजेश साहब के हिस्से की शूटिंग हुई थी।
1969 में बने पहले सुपरस्टार, दीं 15 हिट फिल्में
1969 ही वो साल था जिसने राजेश खन्ना को अपार सफलता दी और उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इस साल उनकी शर्मिला टैगोर के साथ फिल्म ‘आराधना’ रिलीज हुई थी। फिल्म में वो शर्मिला के पति के रोल में थे, जिसकी मौत हो जाती है। बाद में राजेश खन्ना को ही उनके बेटे के रोल में दिखाया गया। फिल्म में भले ही सेंट्रल कैरेक्टर शर्मिला का था, लेकिन डबल रोल में राजेश खन्ना अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।
राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'जब फिल्म रिलीज हुई तो इसके शो शुरू होने से पहले मैं सबको नमस्ते और हाय कर रहा था लेकिन कोई मुझे जवाब तक नहीं दे रहा था। इससे निराश होकर मैं होटल के कमरे में चला गया मगर फिल्म खत्म होने के बाद लोग मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आए और कहा कि चलिए आपके बारे में पूछा जा रहा है।'
'आराधना' के बाद राजेश खन्ना ने हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। लगातार 14 फिल्में हिट हुईं, जो रिकॉर्ड आज तक नहीं टूट पाया। लोग एक फिल्म देखकर उनकी दूसरी फिल्म देखने के लिए थिएटर में घुस जाते थे। सारे बड़े थिएटरों में 5-6 फिल्में तो सिर्फ राजेश खन्ना की ही चला करती थीं।
खुद चाहते थे कि फ्लॉप हो जाएं फिल्में
एक समय राजेश खन्ना अपने स्टारडम से इतने परेशान हो गए थे कि वो खुद चाहने लगे कि उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप हो जाएं, ताकि वो इतना स्टारडम संभाल पाएं। फिल्म 'हाथी मेरे साथी' भी उन्होंने इसलिए ही साइन की थी क्योंकि इसकी स्क्रिप्ट उन्हें पसंद नहीं आई थी। उन्हें लगा था कि फिल्म में दम नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये सुपरहिट साबित हुई थी।