पंचायत की रिंकी यानी सानविका। सीजन-3 में इन्होंने अपनी मासूमियत और सादगी से ऑडियंस को काफी प्रभावित किया है। मध्य प्रदेश की जबलपुर की रहने वाली सानविका का मुंबई का सफर आसान नहीं रहा। शुरुआती दौर में उन्होंने कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट में भी काम किया है।
सानविका ने कहा कि एक आउटसाइडर के लिए फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाना आसान नहीं है। एक-डेढ़ साल तो सिर्फ कॉन्टैक्ट बनाने में लग जाते हैं। पंचायत रिलीज होने के बाद सानविका को सोशल मीडिया पर क्रश तक कहा जाने लगा है। हालांकि वे अपने आप को इतनी खूबसूरत नहीं मानतीं। सानविका ने कहा कि आज भी इंडस्ट्री में डस्की स्किन वालों को आसानी से काम नहीं मिलता।
‘रिंकी’ यानी सानविका से बातचीत का एक दौर..
सवाल- मुंबई के सफर के बारे में बताइए। कितना स्ट्रगल करना पड़ा?
जवाब- मुंबई आने पर सबसे बड़ी दिक्कत रहने की थी। अंधेरी और बांद्रा जैसे इलाके में रहना असंभव था। पैसे इतने नहीं थे कि अफोर्ड किया जा सके। हालांकि मेरा लक काफी अच्छा था। मुझे DN नगर में एक फ्लैट मिल गया। उस 1BHK फ्लैट में मैं 6 लोगों के साथ रहती थी।
मैं दिन भर अलग-अलग मोबाइल ऐप्स के जरिए ऑडिशन के लिए लोकेशन पता करती थी। मेरे लाइफ में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा रोल रहा है। सोशल मीडिया के जरिए ही मैं अपने लिए मौके तलाश पाई।
सवाल- आपने कुछ दिन कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट में भी काम किया है, वो समय कैसा रहा?
जवाब- हां, मैंने कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट में जो सबसे निचली पोजिशन होती है, उसमें भी काम किया है। ऐसा नहीं था कि वो काम खराब था, लेकिन सुनने को बहुत मिलता था। उस वक्त लगता था कि आर्टिस्ट और दूसरे डिपार्टमेंट के लोगों के बीच कितना अंतर है।
सभी लोग आर्टिस्ट्स की ही सेवा में लगे रहते थे। उन्हें हर तरीके की सहूलियत दी जाती थी, जबकि हमें पूछा ही नहीं जाता था। उस वक्त उन्हें देखकर मैं यह भी सोचती थी कि इनकी तरह मैं क्यों नहीं एक्ट कर सकती। इसके बाद ही मैंने ऑडिशन देने शुरू कर दिए थे।
सवाल- एक आउटसाइडर के लिए सबसे बड़ा चैलेंज क्या होता है?
जवाब- कॉन्टैक्ट बनाना ही सबसे चैलेंज वाला काम होता है। एक-डेढ़ साल इसी में निकल जाते हैं। समझ में ही नहीं आता कि कहां जाएं। वहीं जिनके कॉन्टैक्ट्स होते हैं, उन्हें इस भागदौड़ में नहीं पड़ना पड़ता।
सवाल- आप दीपिका पादुकोण और करण जौहर के साथ एक ऐड शूट में भी दिखीं थीं?
जवाब- हां, वो वक्त मेरे लिए बहुत बड़ा था। मैंने सामने से पहली बार दीपिका पादुकोण को देखा था। वो काफी खूबसूरत हैं। दरअसल उस ऐड शूट में मैं पासिंग एक्टर थी। पासिंग एक्टर उसे कहते हैं जो फिल्म या ऐड शूट में लीड एक्टर्स के आस-पास रहकर एक्ट करते हैं। उस ऐड शूट के दौरान दीपिका ने मुझे अपनी जगह पर खड़ा होने को कहा था। उनका इतना ही कहना मेरे लिए बहुत बड़ी बात हो गई थी।
सवाल- संघर्ष के दिनों में खर्चा-पानी कैसे निकलता था?
जवाब- थोड़े बहुत जो काम मिलते थे, उससे खर्चा निकल जाता था। जब बिल्कुल भी पैसे नहीं होते थे तो पापा से मंगाने पड़ते थे। हम सभी को पता है कि मुंबई कितनी महंगी सिटी है, यहां कम पैसों में सर्वाइव करना बहुत मुश्किल है।
सवाल- कोई ऐसी बात हुई हो, जो बुरी लगी हो या जिससे कुछ सीखने को मिला हो?
जवाब- वैसे तो मैं कोई बात लेकर बैठती नहीं हूं। अगर मेरे साथ कुछ गलत भी होता है, तो कुछ दिन बाद उसे भूल जाती हूं। हालांकि एक बार मुझे मेकअप को लेकर काफी कुछ सुनना पड़ा था। दरअसल मेरे चेहरे पर काफी ज्यादा पिंपल्स हो गए थे।
नेचुरल दिखने के लिए मैं बिना मेकअप के ही ऑडिशन देने चली गई। डायरेक्टर ने मुझे डांट दिया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही रहोगी तो तीन महीने बाद इधर-उधर भटकती ही दिखोगी।
सवाल- पंचायत-3 के बाद आपको क्रश तक कहा जाने लगा है। इस पर क्या कहना चाहेंगी?
जवाब- देखिए, मैं अपने आप को इतना खूबसूरत नहीं मानती कि लोग मुझे अपना क्रश बना लें। इंडस्ट्री में सुंदरता का पैरामीटर आज भी गोरे स्किन से नापा जाता है। अगर आप थोड़े डस्की हो तो कहीं न कहीं आपको वो फील करा ही दिया जाता है।
काम मिलना बहुत मुश्किल रहता है। वो अलग बात है कि अगर कोई बड़े फिल्मी घराने से आ रहा है तो फिर डस्की स्किन भी चलेगा। ऑडियंस भी स्क्रीन पर फेयर स्किन वाले को ही देखना पसंद करती है।