नई दिल्ली: दिग्गज कंपनी बायजू को आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें बायजू (थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपये के समझौते को मंजूरी दी गई थी। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के पिछले फैसले को पलट दिया है। उसमें में BCCI के साथ समझौता करने के बाद बायजू के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही बंद करने का आदेश था।पिछले अदालती आदेश के अनुसार BCCI द्वारा एक एस्क्रो खाते में जमा किए गए 158 करोड़ रुपये को अब लेनदारों की समिति (CoC) द्वारा प्रबंधित एक एस्क्रो खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। यह फैसला CJI DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस JB पार्डीवाला और मनोज मिश्रा वाली पीठ ने सुनाया है। सीनियर एडवोकेट श्याम दिवान और कपिल सिबल ने ग्लैस ट्रस्ट(Glas Trust) की तरफ से थे तो वहीं सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेतक मनु सिंघवी बायजू की ओर से पेश हुए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने BCCI का प्रतिनिधित्व किया था
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
NCLAT की आलोचना करते हुए, शीर्ष अदालत ने पाया कि NCLAT ने कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (CIRP) को समय से पहले समाप्त कर दिया था। NCLAT ने गलत तरीके से दिवालिया मामले को वापस लेने के लिए NCLAT नियम, 2016 के नियम 11 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग किया था।
NCLAT ने 2016 के नियम 11 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का आह्वान करके दिवालिया आवेदन वापस लेने की अनुमति देकर गलती की। जब दिवालिया आवेदन वापस लेने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया प्रदान की जाती है, तो NCLAT अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
अदालत ने कहा कि आवेदन वापस लेने के लिए केवल अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) के माध्यम से ही प्रस्तुत किया जा सकता है, जैसा कि इस मामले में किया गया था, स्वयं पक्षों की ओर से नहीं। उच्चतम अदालत ने स्पष्ट किया कि एक बार कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया (CIRP) स्वीकार कर ली जाती है, तो IRP कर्जदार के मामलों का नियंत्रण ले लेता है, और आवेदन वापस लेने के लिए IRP के माध्यम से जाना होगा। NCLT दिवालिया मामलों को संभालने वाला ट्रिब्यूनल है, एक 'डाकघर' नहीं है जो स्वचालित रूप से निकासी को मंजूरी देता है, और NCLAT ने बायजू और BCCI के बीच समझौते को मंजूरी देकर अपनी भूमिका से आगे निकल गया।
अदालत ने आगे कहा कि इस मामले में वापसी के लिए कोई औपचारिक आवेदन नहीं था। समझौते को मंजूरी देने के बजाय, NCLAT को लेनदारों की समिति (CoC) के गठन को रोक देना चाहिए था और पक्षों को IBC के अनुच्छेद 12A के तहत उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश देना चाहिए था, जो दिवालिया आवेदनों को वापस लेने का काम करता है।
मामला क्या है समझिए
बायजू की कानूनी परेशानियां कई मोर्चों पर सामने आई हैं। न्यूयॉर्क की अदालतें, NCLT, NCLAT और भारतीय सुप्रीम कोर्ट सभी के साथ ही कंपनी विभिन्न लेनदारों, जिनमें BCCI और उसके अमेरिका स्थित लेनदार ग्लास ट्रस्ट शामिल हैं, के साथ अरबों डॉलर के ऋणों के पुनर्भुगतान पर बातचीत चल रही है।
यह सब जून 2023 में शुरू हुआ जब बायजू $1.2 बिलियन के टर्म लोन पर ब्याज भुगतान चूक गया। जिससे उसके अमेरिका स्थित लेनदारों, जिसका नेतृत्व ग्लैस ट्रस्ट कर रहा था, के साथ उसके मतभेद शुरू हो गए। लेनदारों ने बायजू पर ऋण का भुगतान न करने का आरोप लगाया और पुनर्भुगतान की मांग की, जबकि बायजू ने तर्क दिया कि ऋण की शर्तों में अन्यायपूर्ण हेरफेर किया जा रहा है।