गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा, 'कांग्रेस आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है। दोनों सदन में जब तक BJP का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है।
शाह ने यह बात राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान की। उन्होंने डेढ़ घंटे की स्पीच में कहा, 'संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, काम में भी होना चाहिए। इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा। आम सभा में संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है।'
'देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं। इसने अनेक तानाशाहों के अहंकार-गुमान को चूर-चूर किया है। जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, हम आज दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।'
शाह ने अपनी स्पीच में धारा 370, आरक्षण, इमरजेंसी, राहुल गांधी का बिना नाम लिए मोहब्बत की दुकान जैसे मुद्दों का जिक्र किया। इस दौरान एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है... दुष्यंत कुमार की इमरजेंसी पर लिखी कविता भी पढ़ी।
अमित शाह के स्पीच की 10 बड़ी बातें
हमारे लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक: 'देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं। इसने अनेक तानाशाहों के अहंकार-गुमान को चूर-चूर किया है। जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, हम आज दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह हम सबके लिए गौरव लेने का पल है। संकल्प लेने का पल है।'
हमारा संविधान नकल नहीं: 'कोई ये ना समझे कि हमारा संविधान महज नकल है। संविधान नकल नहीं है। विदेशी चश्मा से देखेंगे तो भारतीयता नजर नहीं आएगी। ऋग्वेद में भी शुभ विचार लेने की बात कही गई है। हमने सबकी अच्छी बातें ली हैं, लेकिन अपनी विरासत को नहीं छोड़ा है।'
संविधान संशोधन से पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता: संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है। एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं। वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे। BJP ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए। कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए। इनका टेस्ट कैसा था। परिवर्तन का उद्देश्य क्या था। क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए। इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है।
संविधान लहराने का नहीं, श्रद्धा का विषय: संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, काम में भी होना चाहिए। हाल के चुनावों में अजीबोगरीब नजारा देखा। किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं। संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है। महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए। एक पत्रकार के हाथ में आ गया। कोरा था। प्रस्तावना तक नहीं थी। 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है। हार का कारण ढूंढते हैं, बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया।
कांग्रेस मुस्लिमों को आरक्षण देना चाहती है: देश के 2 राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है। ये गैर संवैधानिक है। संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए, स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा। कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया। 50% की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं। दोनों सदन में जब तक BJP का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है।
कांग्रेस हारती है तो EVM को दोष देती है: अब कांग्रेस चुनाव हारती है तो EVM को दोष देते हैं। महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हुआ, उसी दिन झारखंड में जीते। महाराष्ट्र में EVM को खराब बताया, झारखंड में नए कपड़े पहनकर शपथ ले ली। एक जगह EVM खराब है, एक जगह सही हो गई ये कैसे हो सकता है।
इंडिया के नजरिये से देखोगे तो भारत समझ नहीं आएगा: जब संविधान बन रहा था, हर आर्टिकल पर चर्चा चल रही थी। हम आजाद हो गए थे, लेकिन देश कोई नया नहीं बना। अंग्रेज लिखकर गए थे इंडिया, वो भारत जानते ही नहीं थे। आजाद होने पर इस पर चर्चा हुई। संविधान सभा के सदस्य सेठ गोविंद दास ने कहा कि नाम भारत होना चाहिए। जवाहरलाल नेहरू का जवाब था कि और पीछे देखने की जरूरत नहीं है, भविष्य की ओर देखने की जरूरत है और इंडिया भी रहा, भारत भी रहा। इंडिया के नजरिये से देखोगे तो भारत समझ नहीं आएगा। इसीलिए इन्होंने अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया ही रखा।
पुरानी परंपराओं पर हमें शर्म नहीं: हमें अपनी पुरानी परंपराओं पर शर्म नहीं है। हम परंपराएं बदलेंगे। इंडिया गेट पर किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटा दी। वहां सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगा दी। हमने वीर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई। हमने राष्ट्रीय शहीद स्मारक बनाया और अमर जवान ज्योति को विलीन करने का काम किया। सेंगोल को इलाहाबाद के म्यूजियम में भेज दिया गया था, नरेंद्र मोदी ने विधिवत सेंगोल को संसद में स्थापित करने का काम किया। नई संसद बनाई और हजारों मूर्तियां वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय ने प्रयास किया।
आपातकाल निर्वाचन को अयोग्य ठहराने की वजह से लगा: आपातकाल में कई लोगों को इन्होंने जेल में डाल दिया था। इसमें से कई लोग आज इनके साथ बैठे हैं। देश पर कोई हमला हुआ था क्या या देश में कोई आफत आ गई थी। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। बस इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अयोग्य ठहरा दिया था। नीरज डे एक यस सर कहने की वजह से 11 साल तक देश के अटॉर्नी जनरल रहे। मैं तो छोटा था, जेल में नहीं जाना पड़ा, मेरी आयु होती तो पूरे 19 महीने जेल में बंद रहना पसंद करता।
मोहब्बत बेचने की चीज नहीं, महसूस करने की है: मोहब्बत की दुकान के बहुत नारे सुने हैं। हर गांव में दुकान खोलने की महत्वाकांक्षा रखने वाले के भी बहुत भाषण सुने हैं। मोहब्बत बेचने की चीज नहीं है भैया। मोहब्बत प्रचार की चीज नहीं... मोहब्बत जज्बा है, महसूस करने की चीज है।
370 हटाने से तुष्टिकरण की दुकान बंद हो गई: कांग्रेस इतने सालों तक 370 को गोद में खिलाने का काम करती आई। लोग कहते थे कि खून की नदियां बहने लगेंगी। नरेंद्र मोदी जैसे ही दूसरी बार सत्ता में आए और एक ही झटके में इसे हटाने का काम किया। खून की नदियां छोड़ो, एक कंकड़ भी चलाने की किसी में हिम्मत नहीं हुई। आज सभी केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू कश्मीर नंबर वन है। 1 लाख 19 हजार करोड़ का निवेश आज आ गया है। ये पूछते हैं कि 370 हटाने से क्या हो गया। बताता हूं इससे आपकी तुष्टिकरण की दुकान बंद हो गई।