शाहिद कपूर और कृति सेनन ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में साथ दिखने वाले हैं। ऐसा पहली बार है, जब दोनों साथ काम करेंगे। शाहिद कपूर और कृति सेनन ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्होंने बहुत सारे रिजेक्शंस फेस किए हैं। शाहिद ने 18 साल की उम्र से ही ऑडिशन देने शुरू कर दिए थे। वे हर हफ्ते चार-पांच ऑडिशन देते थे।
कृति सेनन ने कहा कि उनके पेरेंट्स ने भी नहीं सोचा था कि वो कभी एक्टर बन पाएंगी। जिस दिन उन्होंने बेटी को पर्दे पर देखा, उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि ये वही लड़की है, जो बचपन से शर्मीली हुआ करती थी।
शाहिद ने पहली फिल्म के लिए चार साल का लंबा इंतजार किया
शाहिद कपूर को 22 साल की उम्र में इश्क विश्क के जरिए पहला ब्रेक मिल गया था। 22 साल सुनने में बहुत कम लगता है, लेकिन शाहिद के लिए जर्नी आसान नहीं थी। उन्होंने 18 साल की उम्र से ही ऑडिशन देने शुरू कर दिए थे। पहली फिल्म के लिए उन्होंने 4 साल का लंबा इंतजार किया था।
शाहिद ने कहा- मैं 18 साल की उम्र से ही हर हफ्ते चार-पांच ऑडिशन करता था। मैंने रिजेक्शंस बहुत फेस किए थे। कभी-कभी अपने आप पर संदेह भी करने लगता था। ऐसी कंडीशन में मेरी मां बहुत बड़ा सपोर्ट सिस्टम थीं। उन्हें मेरी झमता पर पूरा भरोसा था। वो हमेशा मेरे से कहती थीं कि तुम बहुत अच्छा करोगे, बस मेहनत करना जारी रखो।
मां की तुलना में पापा थोड़ा क्रिटिकल ज्यादा हुआ करते थे। उनके सामने कोई भी चीज दिखाने या कहने में झिझक होती थी। पापा को चीजें जल्दी समझ में नहीं आती थीं। वो चाहते थे कि मैं बेहतर से बेहतर काम करूं। उन्होंने भी लाइफ के हर स्टेज पर मुझे काफी सपोर्ट किया।
कृति ने कहा- आजादी मिली तो बेहतर काम किया
कृति सेनन ने कहा कि उनकी पहली फिल्म हीरोपंती काफी सफल हुई थी। उनके लिए यह एक परफेक्ट डेब्यू कहा जा सकता है। कृति के लुक और एक्टिंग की तारीफ हुई थी। हालांकि कृति को इससे अलग थोड़े एक्सपेरिमेंटल रोल भी करने थे।
उन्होंने कहा- एक हीरोइन को जो डेब्यू चाहिए होता है, मुझे वो हीरोपंती के जरिए मिला था। हालांकि मुझे कुछ अलग रोल करना था। बरेली की बर्फी में मैंने वो कर दिखाया। यह अलग बात है कि इसके बाद मुझे हर फिल्म में छोटे शहर की लड़की का रोल मिलने लगा। लेकिन इन किरदारों को मैंने जिया है। इन फिल्मों में मुझे आजादी दी गई कि आप अपने हिसाब से काम करो।
पेरेंट्स को लगा कि मैं फिल्म इंडस्ट्री में टिक नहीं पाऊंगी
कृति सेनन ने कहा कि वो पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। उनकी मां एक प्रोफेसर हैं। कृति को साइंस में काफी इंटरेस्ट था। यही सोचकर उन्होंने इंजीनियरिंग ले ली थी। काफी वक्त तक उन्हें अपना पैशन पता नहीं था। शुरुआत में वो काफी शर्मिली थीं। कॉन्फिडेंस की भी बहुत कमी थी।
कृति ने कहा- मैं अपने पहले रैंप शो से रोते हुए बाहर निकली थी। मेरे पेरेंट्स को भी लगा कि मैं शायद फिल्म इंडस्ट्री में टिक नहीं पाऊंगी। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में मोटी चमड़ी वाले ही सर्वाइव कर पाते हैं, तुम्हारे बस की बात नहीं है। हालांकि मुझे बहुत जल्दी हार नहीं माननी थी। ऑडिशन देते वक्त मुझे समझ में आ गया था कि मेरे अंदर एक क्राफ्ट है। मैं एक्ट कर सकती हूं।
डेब्यू फिल्म देख मां-बाप शॉक्ड थे
कृति ने आगे कहा- मेरी डेब्यू फिल्म देख कर पेरेंट्स बिल्कुल शॉक्ड थे। उन्होंने कहा कि हम सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि तुम कभी पर्दे पर दिख पाओगी। उन्होंने मुझे हमेशा एक शर्मीली लड़की के रूप में देखा था। इसलिए मैं यही कहूंगी कि हमें खुद पर हमेशा विश्वास रखना चाहिए।