भिलाई । आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती,शरद पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। दोनों के बिना ऋषि प्रधान और कृषि प्रधान भारत वर्ष की कल्पना संभव नहीं है। जब तक दीनहीन के प्रति दयाए करुणा और प्रेम का अमृत न हो तो सुधा धर चन्द्रमा की शरद पूर्णिमा व्यर्थ है। साहित्य.संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉण्महेश चन्द्र शर्मा ने बहु उद्देश्यीय कल्याण संस्था आस्था वृद्धाश्रम सेक्टर.8 भिलाई में ये विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर उन्होंने वृद्धजनों को वस्त्र वितरण करते हुए दूध मिठाई भी खिलाई।
आत्मीय संवाद के साथ उनका मुंह मीठा कराने के साथ सबके चेहरे खिल उठे। वर्षों पठन पाठन, शोध, लेखन और प्रशासनिक अनुभवी रहे आचार्य डॉ महेश चन्द्र शर्मा ने बुजुर्गों के आशीर्वाद और शुभकामनाएं पाकर स्वयं को सौभाग्यशाली माना। वृद्धाश्रम के स्टाफ प्रकाश बोरकर भी उनके साथ रहे। डॉ शर्मा ने संस्था का सहयोग भी किया। इसके कुछ पूर्व आचार्य डॉ महेश चन्द्र शर्मा भिलाई के फील परमार्थ फाउंडेशन गये। वहां बेसहारा बुजुर्गों और विक्षिप्त लोगों हेतु भोजन सेवा की जानकारी ली। अन्नदान सेवा के लिये यहां भी आचार्य डॉ शर्मा ने सहयोग दिया।