लंदन । भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने अपनी नई किताब स्टारगेजिंग द प्लेयर्स इन माय लाइफ में पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास को लेकर अहम खुलासा किया है। शास्त्री ने अपनी किताब में उस दिन का पूरा विवरण दिया है, जिस दिन मेलबर्न टेस्ट समाप्त होने के बाद अचानक ही धोनी ने टेस्ट क्रिकेट छोड़ने की बात कही थी। शास्त्री ने किताब में लिखा कि धोनी के फैसले के बारे में किसी को भी नहीं पता था। मेलबर्न में सीरीज का तीसरा टेस्ट खेला जा रहा था। हमने आखिरी दिन मैच ड्रॉ करा लिया था। धोनी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाना था। उसमें जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा कि रवि भाई, जब मैं वापस लौटूंगा, तो मुझे साथी खिलाड़ियों से बात करनी है। तब मैंने उन्हें कहा था कि आप कप्तान हैं, बिल्कुल बात कर सकते हैं।
शास्त्री ने अपनी किताब में यह भी लिखा कि धोनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लौटे और घोषणा कर दिया कि यह मेरा आखिरी टेस्ट मैच था। धोनी इसी तरह के इंसान हैं, वो निडर और निस्वार्थ हैं। उन्होंने बीच सीरीज में इतना बड़ा फैसला लेकर इस बात को साबित कर दिया था।
उन्होंने तब 90 टेस्ट ही खेले थे। उस समय धोनी क्रिकेट के दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे। उनके पास दो विश्व कप और एक चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब था। आईपीएल में भी उनकी धाक थी। उनका खुद का फॉर्म अच्छा था और वो 100 टेस्ट से सिर्फ 10 मैच दूर थे पर फिर भी उन्होंने क्रिकेट को बाय-बाय कह दिया। साथ ही कहा कि वो उनमें से नहीं है, जो यह सोचे कि 100 या 120 टेस्ट हो जाएं, तो फिर संन्यास लूंगा। उनको लगा कि अब तीनों फॉर्मेट में खेलना मुश्किल है, तो फौरन टेस्ट छोड़ने का फैसला कर लिया। शास्त्री ने इस किताब में धोनी के संन्यास के बारे में आगे लिखा कि मैंने धोनी को मनाने की कोशिश कि वो अपने फैसले पर दोबारा विचार करें। वो तब भी टीम के 3 सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक थे। उनके पास अपने टेस्ट करियर को और बेहतर करने का मौका था।
शास्त्री ने आगे लिखा कि सभी खिलाड़ी कहते हैं कि उनके लिए निजी रिकॉर्ड मायने नहीं रखते हैं, लेकिन कुछ के लिए रखते हैं. मैंने उन्हें टटोलने की कोशिश की, वो अपना फैसला बदलने के बारे में क्यो सोचते हैं. लेकिन धानी की सोच में दृढ़ता थी, इस कारण मैं इस मामले में आगे नहीं बढ़ा।