रीवा, । रीवा जिले के गढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम बरहट में बीती 10 और 11 सितंबर की दरमियानी रात अपनी मां के साथ घर के अंदर सो रही 10 माह की बच्ची गुमशुदा हो गई थी। इस गंभीर घटना को लेकर रीवा पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तादी के साथ गुमशुदा बच्ची की तलाश में जुटा था। गुम होने के चार दिन बाद बच्ची जंगल में चरवाहों को मिली।
लगातार एसडीओपी मनगवां और थाना प्रभारी गढ़ विकास कपीस की टीम गांव-गांव मुखबिर तंत्र लगाकर हर हाल में घटना का खुलासा करने के लिए जाल बिछा चुकी थी। बरहट गांव से लगे जंगल में लगातार सर्च ऑपरेशन जारी था।
बरहट गांव और आसपास के गांव में बच्ची की तलाश के लिए पुलिस द्वारा लगाए गए मुखबिर तंत्र और पुलिस की सक्रियता से बच्ची को अपहरण करने वाला भयभीत हुआ। इसके बाद उसने बच्ची को जंगल में लावारिस हालत में छोड़ दिया।
शनिवार सुबह लगभग 11 बजे चरवाहों को रोने की आवाज आई, तो उन्होंने पास जाकर देखा तो चट्टान पर बच्ची लेटी हुई थी। इसके बाद उन्होंने बरहट गांव के सरपंच गगनेंद्र गौतम को सूचना दी। सरपंच ने थाना प्रभारी गढ़ कपीश विकास को फोन के माध्यम से बच्ची के जंगल में मिलने की जानकारी दी।
तत्काल थाना प्रभारी द्वारा एसडीओपी मनगवां डॉ. कृपा शंकर द्विवेदी सहित जिले की वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई! वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उप निरीक्षक के एल बागरी के नेतृत्व में थाना प्रभारी ने आरक्षक अभिषेक पांडेय और आशुतोष मिश्रा सहित अन्य पुलिस कर्मियों की टीम गठित कर जंगल की ओर रवाना किया गया।
जंगल के चिकनियां पहाड़ से पुलिस ने बच्ची को जीवित हालत में बरामद किया है। उसे उपचार के लिए गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां मौजूद चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार के बाद रीवा के संजय गांधी अस्पताल के लिए बच्ची को रेफर किया गया है। बच्ची की मां और पूरे परिजन रिश्तेदार सभी ने अपनी बच्ची को जीवित देख काफी खुश नजर आए।
भले ही इस घटना को लेकर तरह-तरह की शंकाओं का बाजार गर्म है कि अपहरण हुआ या फिर जंगली जानवर उठा कर ले गए, लेकिन सच यही है कि चार दिनों बाद दूधमुही बच्ची अगर जंगल में जिंदा पाई गई है। इसके पीछे अपहरण करने की ही घटना है, हालांकि इस घटना में अभी पुलिस ने अधिक कुछ नहीं बताया है। अब यह तो आने वाला समय ही बताया कि पुलिस की जांच विवेचना में क्या तथ्य सामने आते हैं।
इस घटना को अंजाम देने वाला कौन है इसका पता अभी नहीं चला है लेकिन यह दावे से कहा जा सकता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा जिस तरह से गुमशुदा बच्ची को खोजने के लिए जाल बिछाया गया था उसमें फंसने से बचने के लिए आरोपी ने चौथे दिन बच्ची को जंगल में छोड़कर खुद को बचाने का प्रयास किया है।