भोपाल । प्रदेश के इंदौर जिले के दो सिपाहियों ने परीक्षा पास करने सोल्वर की मदद ली। नौ साल बाद यह सच्चाई उजागर होने पर अब दोनों सिपाही गिरफ्तार हो चुके है। दोनों सिपाही का झूठ फिंगर प्रिंट से उजागर हो गया है। व्यापमं-2012 घोटाले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स(एसटीएफ) दो सिपाहियों से पूछताछ कर रही है। आरोपी पुलिसवाले विभिन्न थानों,अफसरों के बंगलों-कार्यालयों और खुफिया शाखाओं में पदस्थ रह चुके हैं। एसटीएफ एडीजी विपिन माहेश्वरी महीनों से लंबित शिकायतों की जांच करवा रहे हैं। एसपी(एसटीएफ) मनीष खत्री ने इस दौरान व्यापमं मामले के आवेदनों की पड़ताल की तो मामला संदिग्ध निकला।
शिकायत के साथ सिपाहियों के फोटो,प्रवेश पत्र,पहचान पत्र और ऊंगलियों के चिन्ह भी पुलिस को मिले थे। एसटीएफ ने अनावेदक जितेंद्र टांक और राहुल शर्मा से पूछताछ की और एफएसएल से उंगलियों के चिन्ह की जांच करवाने भेज दी। जांच में झूठ पकड़ा गया और दोनों के विरुद्ध केस दर्ज करना पड़ा। एसपी ने 26 दिसंबर को राहुल शर्मा को उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस लाइन में पदस्थ राहुल एएसपी के बंगले पर पदस्थ था। उसके विरुद्ध दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का प्रकरण भी दर्ज हो चुका है।
राहुल ने पूछताछ में सोल्वर का नाम नहीं बताया और गुमराह करने लगा। पुलिस ने उसे कोर्ट पेश कर रिमांड पर लिया तो कहा उसे एमवाय के सामने एक व्यक्ति मिला था।उसके स्थान पर उसने अज्ञात लड़के से परीक्षा दिलवाई और वह पास हो गया। इसी तरह आरोपित जितेंद्र को 28 दिसंबर को मंदसौर से पकड़ा। जितेंद्र दलौदा पुलिस थाना में पदस्थ था। उसने भी ओमएमआर शीट में गड़बड़ी की थी। एसपी के मुताबिक दोनों सिपाही रिमांड पर है और पूछताछ चल रही है। 9 साल पूराना केस होने से सिपाही सच नहीं बता रहे है।
इसके पूर्व 3 नवंबर को एसटीएफ ने व्यापमं-2012 फर्जीवाड़ा में अशोकनगर के सिपाही रवि त्यागी को गिरफ्तार किया था। त्यागी ने भी फर्जी तरिके से परीक्षा पास की और पुलिस में भर्ती हो गया। पुलिस सभी आरोपितों के बैंक खातों और मोबाइल नंबरों की भी जांच कर रही है। तीनों पर एक ही गिरोह से जुड़ने का शक है। बहरहाल इस पूरे मामले की सच्चाई जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ सकेगी।