बिलासपुर । आम आदमी पार्टी और पचपेढ़ी मस्तूरी क्षेत्र के चार गांव की जनता ने खपरी स्थित कालिन्दी इस्पात संयत्र विस्तार की जनसुनवाई का विरोध किया है। ग्रामीणों के साथ आप नेताओं ने मस्तूरी पहुंचकर एसडीएम पंकज डाहिरे और जनपद सीईओ से लिखित की है। आप के प्रदेश प्रवक्ता दिलीप अग्रवाल ने एसडीएम को बताया कि कालिन्दी प्रबंधन ने गुपचुप तरीके से इस्पात संयत्र की जनसुनवाई का फैसला किया है।
जनसुनवाई की जानकारी प्रभावित गांव के ग्रामीणों को दूर जनप्रतिनिधियों तक को भी नहीं है। इस्पात संयत्र के चलते पहले से ही स्थानीय लोग परेशान है। यही कारण है। प्रबंधन ने 27 अप्रैल को गुपचुप तरीके से नसुनवाई का कागज में एलान किया है। यदि जनसुनवाई कार्यक्रम को निरस्त नहीं किया जाता है तो आम आदमी के कार्यकर्ता ग्रामीणों के साथ संयत्र के सामने धरना प्रदर्शन के साथ उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
एसडीएम और सीईओ से लिखित विरोध
सोमवार को आप प्रदेश प्रवक्ता दिलीप अग्रवाल की अगुवाई में मानिकचौरी, खपरी, कोकड़ी,पचपेढ़ी और चिल्हाटी के ग्रामीणों ने कालिन्दी इस्पात संयत्र के खिलाफ एसडीएम और जनपद पंचायत सीईओ मस्तूरी को लिखित शिकायत पत्र दिया है। दिलीप अग्रवाल ने बताया कि शायद यह देश का पहला इस्पात संयत्र है जिसने विस्तार को लेकर जनसुनवाई का एलान तो किया है। लेकिन इसकी जानकारी प्रशासन को छोड़कर प्रशासन को भी नहीं है। क्योंकि प्रबंधन को पहले से ही पता है कि जनसुनवाई का विरोध किया जाएगा।
ग्रामीणों को जानकारी ही नहीं
दिलीप ने बताया कि 27 अप्रैल को कालिन्दी इस्पात संयत्र विस्तार को लेकर प्रबंधन ने जनसुनवाई का एलान किया है। सबसे बड़ी बात कि इसकी जानकारी प्रभावित गांव के लोगों को तो दूर..स्थानीय जनप्रतिनिधियो को भी नहीं है। मतलब दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल काली है। प्रबंधन ने ऐसा सोची समझी रणनीति के तहत किया है। तारि उन्हें ग्रामीणों के विरोध का सामना नहीं करना पड़े।
आप नेता के अनुसार चिल्हाटी-भतचौरा मार्ग स्थित मानिकचौरी और कोकरी के बीच खपरी गांव है। इसी गांव में पिछले कई सालों से कालिन्दी इस्पात संयत्र का संचालन किया जा रहा है। जबकि इस्पात संयत्र खुलने के समय भी ग्रामीणों ने विरोध किया था। बावजूद इसके प्रशासन से मिली भगत कर ग्रामीणों की आवाज को दब दिया गया। एक बार फिर वही काम हो रहा है। 27 अप्रैल को इस्पात संयत्र विस्तार को लेकर जनसुनवाई किया जाना है। मजेदार बात है कि इसकी जानकारी प्रभावित गांव के लोगों को भी नहीं है।
हमने ग्रामीणों के साथ प्रशासन के अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि जनसुनवाई का विरोध किया जाएगा। 27 अप्रैल को प्रस्तावित लोक सुनवाई फर्जी आंकड़ों से तैयार ई.आई.ए. रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है।
नियमों की उड़ाई गयी धज्जियां
जिला प्रशासन की तरफ से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 14 सितम्बर 2006 के विधिक प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। निर्माणाधीन संयंत्र से 10 किमी. की परिधि के प्रत्येक ग्राम पंचायत में ई.आई.ए. रिपोर्ट के प्रति प्रदान नहीं किया गया है। ईआईए रिपोर्ट क्षेत्रिय भाषा हिन्दी में न होकर सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया है। प्रबंधन ने जनता के विरोध से बचने लोक सुनवाई को लेकर मुनादी भी नहीं करवाया है। मतलब साफ है कि विडियोग्राफी भी नहीं होगा। जब ग्रामीण जनसुनवाई में नहीं पहुंचेंगे तो इसे सर्वसम्मति का रूप दिया जाएगा।
ग्रामीणों के साथ किया गया छल
दिलीप ने पत्रकारों को बताया कि नियमानुसार जनपद पंचायत सीईओ या फिर प्रशासनिक प्रतिनिधि की उपस्थित में ग्राम सभा का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके बाद अनापत्ति प्रमाण लिया जाता है। ताज्जुब की बात है कि इसकी जानकारी किसी भी सरपच सचिव या जनप्रतिनिधि को भी नहीं है।
कालिन्दी ने बनाया फर्जी दस्तावेज
कालिन्दी ने प्रशासन के सामने फर्जी दस्तावेज पेश किया है। हमने सीईओ और एसडीएम से पक्रिया का पालन नहीं किए जाने को लेकर जांच की मांग की है। आप नेता के अनुसार गांव की सैकड़ों जमीन कालिन्दी और अन्य संयत्रों के कारण बंजर हो रही है। कई किसानों ने फसल और अन्य पैदावार लेना बन्द कर मजदूरी करने को मजबूर हैं। संयत्रों के कारण नदी का पानी भी काला हो रहा है। इंसान ही नहीं बल्कि नदी का पानी मवेशियों के भी पीने लायक नहीं है।
काला हुआ नदी का पानी
पानी दूषित होने के कारण स्थानीय लोगों को कई प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समझने वाली बात है कि जब एक संयंत्र ने क्षेतक्र के पर्यावरण को असंतुलित कर दिया है तो संयंत्र विस्तार के बाद प्रभावित गांव के लोगों की क्या स्थिति होगी।
प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर की मांग
दिलीप के अनुसार एसडीएम और सीईओ से निवेदन दिया है कि कालिन्दी प्रबंधन की अवैधानिक लोक सुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाए। प्रबंधन प्रमुख और फर्जी आंकड़ों के आधार पर ई.आई.ए. रिपोर्ट तैयार करने वाली कंसलटेंट कम्पनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाए। यदि हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। साथ ही कालिन्दी संयत्र के सामने धरना प्रदर्शन के अलावा जरूरत पडऩे पर उग्र आंदोलन भी करेंगे।