फिल्मों की दुनिया में टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा रोल होता है। शूटिंग के दौरान तरह-तरह के कंप्यूटर, कैमरा, एडिटिंग सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक प्रॉप्स का यूज किया जाता है। कभी सोचा है कि शूटिंग सेट पर इनकी सप्लाई कैसे की जाती है, इन्हें बनाने में कितना खर्च आता है। इस हफ्ते के रील टू रियल में इन्हीं टेक्निकल इक्विमेंट्स के सप्लायर सूफियान मर्चेंट से बात करेंगे और पूरा प्रोसेस जानेंगे।
शार्प कंप्यूटिंग सॉल्यूशन नाम की शाॅप है। बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस में टेक्निकल इक्विपमेंट्स की सप्लाई यहीं से होती है। पूरी शाॅप अलग-अलग तरह के लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल फोन, जॉयस्टिक से भरी पड़ी थी।
सूफियान ने शाहरुख की दो बड़ी फिल्म जवान और पठान में काम किया है। उन्होंने शाहरुख की बेटी सुहाना खान की डेब्यू फिल्म आर्चीज में भी काम किया है। सूफियान ने बताया कि फिल्म जवान में सप्लाई की गई मशीनों का कुल खर्च करीब 2.5 करोड़ रुपए के आसपास था।
फिल्म सेट पर सभी टेक्निकल इक्विपमेंट्स मुहैया कराती है इनकी टीम
सूफियान ने बताया कि फिल्म की शूटिंग में शुरुआत से लेकर अंत तक, कई तरह के टेक्निकल इक्विपमेंट्स की जरूरत होती है। फिल्म की शूटिंग के लिए सबसे पहले कैमरे की जरूरत पड़ती है, फिर स्टोरेज के लिए हार्ड ड्राइव की जरूरत पड़ती है, यह तमाम चीजें सूफियान और उनकी टीम प्रोडक्शन हाउस को प्रोवाइड करती है।
उनका काम प्रोडक्शन हाउस की एडिटर लॉबी से भी होता है और एडिटिंग का सारा सामान भी इन्हीं की टीम मुहैया कराती है। सेट से जुड़ी सभी टेक्निकल चीजों के लिए सूफियान की एक टीम है, जो सेट पर हमेशा मौजूद रहती है। शूटिंग के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रिक प्रॉप्स जैसे LED TV, मोबाइल, टीवी और लैपटॉप भी यही टीम प्रोवाइड करती है।
फिल्म जवान के लिए तैयारी में लगे थे 2 साल
सूफियान की टीम ने फिल्म जवान, पठान और आर्चीज की शूटिंग में टेक्निकल इक्विपमेंट्स की सप्लाई की थी। इन इक्विपमेंट्स में एडिट मशीन, हर स्केल के हार्ड ड्राइव, LTO टेप, प्रॉप्स जैसे मोबाइल, लैपटॉप समेत कई चीजें शामिल थीं। सूफियान ने फिल्म जवान को अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बताया। इस प्रोजेक्ट के लिए उनकी टीम ने लगभग 2 साल तक तैयारी की थी। फिर फिल्म के प्रोडक्शन हाउस की IT टीम के साथ 1 साल तक काम किया था।
इस बारे में उन्होंने आगे बताया, 'आमिर खान प्रोडक्शन हाउस, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, एक्सेल मीडिया, टाइगर बेबी, एम्मे एंटरटेनमेंट जैसे बड़े प्रोडक्शन हाउस को भी हमारी टीम IT हेल्प देती है। हमारी टीम ऐड एजेंसियों को भी असिस्ट करती है और जरूरत के सामान उन्हें सप्लाई करती है।'
फिल्म के DOP के साथ मिलकर कैमरे के लिए काम किया जाता है
फिल्म इंडस्ट्री को बड़े स्तर पर कैमरा पहुंचाने का काम सूफियान की टीम करती है। फिल्म के DOP (डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी) जरूरत के हिसाब से कैमरे, लेंस और ट्राइपॉड से जुड़ी रिक्वायरमेंट बताते हैं। सूफियान की टीम उसे समझ कर उसी के हिसाब से चीजें प्रोवाइड करती है।
बड़े कैमरे का रेंट प्रतिदिन करीब 10 लाख रुपए होता है
कैमरे के चार्ज के बारे में सूफियान ने बताया, 'यह सारी चीजें हम प्रतिदिन के हिसाब से रेंट पर देते हैं। अलग-अलग तरह के कैमरे और बाकी चीजों का चार्ज भी अलग होता है। एक छोटे कैमरे का प्रतिदिन का चार्ज करीब 5 हजार रुपए होता है। वहीं एक बड़े कैमरे का प्रतिदिन का रेंट करीब 10 लाख रुपए तक भी चला जाता है। कैमरे का रेंट उसके एक्चुअल प्राइस के हिसाब से तय किया जाता है। उन कैमरों के साथ हमारे कैमरापर्सन भी जाते हैं, जो सेट पर प्रोडक्शन की टीम को असिस्ट करते हैं।'
सूफियान ने बताया कि वो एग्रीमेंट के आधार पर चीजें रेंट पर देते हैं। जब उनकी टीम को टेक्निकल इक्विपमेंट्स के सप्लाई का ऑर्डर मिलता है, तो टीम उसी पर बेस्ड एक पैकेज बनाती है। इस पैकेज में प्रतिदिन, प्रति महीना या साल के हिसाब से चार्ज डिसाइड होता है। हालांकि, ऐसा एकदम से फिक्स नहीं होता। ग्राहक की जरूरत के हिसाब से वो चार्ज में छूट भी देते हैं। उनकी कोशिश होती है कि ग्राहक उनके साथ बने रहें।
सूफियान की टीम पेमेंट का सारा काम ब्लैक एंड व्हाइट मेल के जरिए करती है। वहीं ऑर्डर मिलने और सर्विस देने का सारा लेखा-जोखा वॉट्सऐप पर होता है।
इंडस्ट्री के टॉप मोस्ट कंपोजर को भी IT हेल्प देती है इनकी टीम
सूफियान की टीम बड़े-बड़े म्यूजिक कंपोजर के साथ भी काम करती है। इस बारे में उनका कहना है, 'हमारी टीम सलीम-सुलेमान मर्चेंट, प्रीतम दा और ए.आर.रहमान की टीम को IT सपोर्ट मुहैया कराती है।
अभी कुछ दिन पहले सलीम मर्चेंट का एक लैपटॉप खराब हो गया था। लैपटॉप की पेटेंट कंपनी का कहना था कि उसकी रिपेयरिंग नहीं हो पाएगी, जिस वजह से उनका पूरा डेटा गायब होने का खतरा था। ऐसे में हमने कड़ी मेहनत करके उनका लैपटॉप ठीक किया और 4-5 साल पुराना डेटा गायब होने से बचा लिया। इंडस्ट्री से अब तक का सबसे बढ़िया कॉम्प्लिमेंट मुझे सलीम मर्चेंट ने ही दिया है। इस काम के लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर मुझे टैग करके मेरी तारीफ की थी।'
जावेद अख्तर और रणवीर सिंह के घर का IT काम भी देखते हैं सूफियान
सूफियान ने इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा काम जावेद अख्तर, शबाना आजमी, रणवीर सिंह और बिपाशा बसु के लिए किया है। इन लोगों के घरों में WIFI और टेक संबंधित चीजों में भी उनकी टीम काम करती है। इस बारे में उन्होंने कहा, 'इंडस्ट्री के अलावा हम आम लोगों के लिए भी काम करते हैं। नेटवर्किंग, WIFI, डोर लॉक, क्लोज सर्किट कैमरा जैसी चीजों में भी हमारी टीम सपोर्ट करती है। इंटीरियर डिजाइनर और आर्किटेक्ट के साथ भी हम काम करते हैं।'
फिल्मों की शूटिंग में बतौर प्रॉप्स मोबाइल का इस्तेमाल होता है
सूफियान की टीम फिल्मों में मोबाइल की सप्लाई सीन में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रॉप्स के तौर पर करती है। फिल्म के आर्ट डायरेक्टर सूफियान की टीम को किरदार और कहानी के हिसाब से चीजें बता देते हैं। फिर टीम उसी के आधार पर सप्लाई करती है।
सूफियान ने यह भी बताया कि कई सेलेब्स उनकी टीम से मोबाइल खुद के यूज के लिए भी खरीदते या रेंट पर लेते हैं। इस बारे में उनका कहना है, 'सेलेब्स से ज्यादा DOP या आर्ट डायरेक्टर हमारे ग्राहक होते हैं। वहीं, सेलेब्स से हमारा सीधा कॉन्टैक्ट नहीं होता। उनकी तरफ से उनकी टीम हमसे चीजें ले जाती है।'
कंगना के लिए अब तक की सबसे महंगी मशीन बनाई
सूफियान ने कंगना के प्रोडक्शन हाउस के लिए एक एडिटिंग सिस्टम एपल कंपनी से कस्टमाइज करवाया था। यह काम उन्होंने कंगना के ही प्रोडक्शन हाउस के DIT में काम करने वाले एक शख्स के साथ मिलकर किया था। इस मशीन को बनाने में 17 से 20 लाख रुपए का खर्च आया था। यह अब तक की सबसे महंगी कस्टमाइज्ड मशीन है।
इसमें बाकी मशीन की तुलना में नई टेक्नीक थी। इसकी मेमोरी, प्रोसेसर, सब कुछ टॉप स्केल था। कलर ग्रेडिंग मॉनिटर इसकी बड़ी खासियत थी, जिसकी वजह से इसका दाम भी ज्यादा था। बाकी मशीन की तुलना में इसकी एडिटिंग और रेंडरिंग स्पीड 10 गुना ज्यादा थी। इस मशीन का इस्तेमाल फिल्म मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी में किया गया था।
प्रोडक्ट के कस्टमाइजेशन पर सूफियान ने बताया, 'हमारे पास ऐसे बहुत सारे ऑर्डर आते हैं। ग्राहक की डिमांड जानने के बाद हम कंपनी के साथ मिलकर कस्टमाइजेशन पर प्लान करते हैं। फिर ऑर्डर प्लेस करके कंपनी से उसे बनवाते हैं। एक सीमित टाइम फ्रेम के अंदर कंपनी की मदद से ग्राहक को उनकी मनपसंद मशीन की सप्लाई करते हैं।'
करीब 22 साल से सूफियान यह काम कर रहे हैं
सूफियान ने अपनी कंपनी शार्प कंप्यूटिंग सॉल्यूशन की शुरुआत के बारे में बात की। उन्होंने कहा, 'इस कंपनी को शुरू हुए 20 से 22 साल हो गए हैं। पहले डोर टु डोर सप्लाई की सोच के साथ कंपनी को खोला गया था। कोविड के दौरान कंपनी के सिस्टम में बड़ा बदलाव हुआ। हमारे साथी वर्कर दूर-दूर रहते थे। कोविड में ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद था, इस कारण वो लोग वर्कशॉप तक आने में असमर्थ थे। ऐसे में हमने ग्राहक से वर्कशॉप तक आने की गुजारिश की। इस वजह से हमारे कस्टमर्स में बढ़ोतरी भी हुई। हालांकि अभी भी हमारे पास 30-35 वर्कर हैं, जो डोर टु डोर सर्विस देते हैं।'
सूफियान ने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बैलेंस बनाने पर भी बात की। उन्होंने कहा, 'हम सर्विस इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। 24 घंटे हम अपने क्लाइंट के लिए मौजूद रहते हैं। कोई क्लाइंट छोटा या बड़ा नहीं होता है। हमारी कोशिश होती है कि एक फिक्स टाइम में ही क्लाइंट को प्रोडक्ट डिलीवर हो जाए। हम हर क्लाइंट के साथ पर्सनल टच जरूर रखते हैं, इस कारण ज्यादा टाइम लगता है।'