मुंबई,: भारत के अग्रणी ऑटोमोबाइल ब्रांड, टाटा मोटर्स ने आज टाटा ग्रुप के सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देने की दृष्टि के अनुरूप वित्त वर्ष 2019-20 की अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) रिपोर्ट जारी की है। टाटा मोटर ने स्वास्थ्य (आरोग्य), शिक्षा (विद्याधनम), नियोजनीयता (कौशल्य) और पर्यावरण (वसुधरा) एवं ग्रामीण विकास के अपने प्रमुख महत्व के क्षेत्रों में अपनी पहलकदमियों को सक्रियतापूर्वक लागू किया है। कंपनी के सीएसआर प्रोग्राम का कार्यक्षेत्र और पहुंच लगातार बढ़ते रहे हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में इसने 8.3 लाख लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाला है जिनमें से करीब 41% लोग अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति के हैं।
इस अवसर पर टाटा मोटर्स के सीईओ एवं एमडी, श्री गुएंटर बश्चेक ने कहा कि, “हम जब टाटा मोटर्स के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, मैं बड़े गर्व के साथ बताना चाहता हूँ कि पिछले दशक में हमारी सामूहिक सीएसआर कोशिशों से सम्पूर्ण भारत में 5 मिलियन लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। हमारी भूमिका सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक संसाधन प्रदाता से बढ़ते-बढ़ते सहायक और अब शक्ति-सामर्थ्य प्रदाता के रूप में विकसित हो चुकी है। यह हमारे ध्येय वक्तव्य में रचे-बसे ‘जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की लगन के साथ गतिशीलता समाधानों में नवाचार’ का सच्चा प्रमाण है। हम सुविधा से वंचित समुदायों को उन्नत करने और उन्हें जागरूक एवं आत्मनिर्भर बनाते हुए उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के दिशा में अपने कार्य जारी रखेंगे।”
प्रमुख क्षेत्रों में कंपनी की सीएसआर पहलों की एक झलक :
- स्वास्थ्यसेवा सुविधाओं ‘आरोग्य’ का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण : वित्त वर्ष 2020 में 3.9 लाख लोगों को हमारे स्वास्थ्य संबंधी पहल ‘आरोग्य’ से लाभ पहुंचा, जिसका लक्ष्य दूर-दराज के समुदायों के लिए स्वच्छ पेयजल और निवारक/ आरोग्यकारी स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था के माध्यम से कुपोषण को दूर करना है। टाटा मोटर्स द्वारा उपचारित 74% से अधिक अल्पपोषित बच्चों का स्वास्थ्य अब ठीक है। कंपनी के ‘अमृतधारा’ नामक राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के माध्यम से 21,666 लोगों को सुरक्षित जल उपलब्ध हुआ।
कंपनी ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने और लॉकडाउन से सर्वाधिक प्राभिव लोगों को मदद पहुंचाने के लिए भी एक रणनीति तैयार की है। कंपनी इस उद्देश्य को आवश्यक सामाग्रियों की व्यवस्था, कोरोना वारियर्स के लिए रक्षात्मक उपकरण से सुसज्जित करने और रोग के संचारण को रोकने के तरीकों पर लोगों को शिक्षित करने के द्वारा पूरा कर रही है। हमारी प्रत्यक्ष सहायता से आजीविका खो चुके प्रवासियों, दैनिक मजदूरों और फँसे हुए या शरणार्थी शिविरों में रहने को बाध्य लोगों सहित 1.5 लोगों को लाभ पहुंचा।
- ‘विद्याधनम’ - शिक्षा तंत्र का उन्नयन : शिक्षा अभियान ‘विद्याधनम’ के सहारे 1.5 लाख से अधिक स्टूडेंट्स को शामिल किया गया। यह अभियान लक्षित दृष्टिकोण के साथ आवश्यकता-आधारित सहायता, विशेष कोचिंग क्लास की व्यवस्था करके माध्यमिक/महाविद्यालय स्तर के स्टूडेंट्स के शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर केन्द्रित है। इन अभियानों से में उत्तीर्णता अनुपात 2015 के 55% से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 80% पर पहुँच गया। वित्त वर्ष 2020 में 44% से अधिक स्टूडेंट्स ने अपनी 10वीं कक्षा की प्री-बोर्ड परीक्षा में 60% से अधिक अंक प्राप्त किये। वर्ष के दौरान, कंपनी ने विभिन्न जवाहर नवोदय विद्यालयों (जेएनवी) के सहयोग से 400 से अधिक स्टूडेंट्स को जेईई और एनईईटी प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग भी प्रदान की। टाटा मोटर्स भारत का पहला कॉर्पोरेट है जो वित्तीय सहायता कार्यक्रम (एफएपी) के लिए सकारात्मक कारवाई (एए) के अंतर्गत आइआइटी बॉम्बे को सपोर्ट कर रहा है।
- ‘कौशल्य’ - नियोजनीयता संबंधी कार्यक्रम में सुधार : नियोजनीयता अभियान ‘कौशल्य’ के माध्यम से 1 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया। यह ऑटो ट्रेड्स, गैर-ऑटो ट्रेड्स और कृषि एवं सम्बद्ध क्रियाकलाप के तीन वर्गों में में अनियोजित युवाओं को प्रशिक्षित करने पर केन्द्रित है। इसमें प्रशिक्षित लोगों में से 63% को नौकरी मिल गयी है (या स्व-रोजगार में हैं) जिससे परिवार की वार्षिक आय में 1 लाख रुपये तक की वृद्धि हुयी है।
कंपनी स्त्रियों और कृषकों के समुदाय-आधारित समूहों के साथ भी सहभागिता करती है और उन्हें कृषिक एवं अन्य सम्बद्ध कार्यक्रम के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करती है।
- ‘वसुधरा’ - पर्यावरणीय कार्यक्रम के माध्यम से संवहनीयता का पोषण : टाटा मोटर्स के प्लांट लोकेशंस में करीब 1.2 लाख नए पौधे रोप गए और पिछले मानसून के दौरान लंबे समय तक बरसात होने के बावजूद उनका काफी ऊंचा उत्तरजीविता अनुपात (71%) सुनिश्चित किया गया। पर्यावरणीय चेतना कार्यक्रम के माध्यम से 91,000 से अधिक लोगों (अधिकतर छोटे बच्चे) को इस उद्देश्य के प्रति संवेदनशील बनाया गया। कंपनी ने समुदायों को ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
- समेकित ग्राम विकास : एक आदिवासी गाँव/टोले के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुए टाटा मोटर्स या सहभाग (महाराष्ट्र सरकार का सीएसआर प्रकोष्ठ) के साथ मिलकर एक प्रायोगिक परियोजना का संचालन किया जिससे पालघर जिले के जव्हर प्रखंड स्थित पाथरडी ग्राम पंचायत के 3000 आदिवासी लोगों के जीवन में सुधार हुया। ग्राम विकास के लिए 70% संसाधन सरकार से प्राप्त हुए.
- स्वैच्छिक सेवा कार्यक्रम : टाटा मोटर्स कर्मचारी स्वैच्छिक सेवा कार्यक्रम में भी विविध सामुदायिक कल्याण अभियानों में अधिक कर्मचारियों की सहभागिता की बदौलत स्वैच्छिक सेवा के घंटों में बढ़ोतरी हुयी। 28000 कर्मचारियों में से 50% से अधिक ने भाग लेकर सामाजिक उद्देश्यों के लिए 1.1 लाख स्वैच्छिक घंटे दिए, जो पिछले साल से 67% ज्यादा है।
वर्ष के दौरान दो असाधारण प्राकृतिक घटनाओं ने असाधारण हस्तक्षेप की ज़रुरत पैदा की. महाराष्ट्र में भयंकर बाढ़ से जीवन और रोजगार का भारी नुकसान हुआ और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए राहत के काफी काम करने की ज़रुरत थी। टाटा मोटर्स ने महाराष्ट्र राज्य सरकार बाढ़ राहत कार्यक्रम में हाथ बंटाया और 45,000 से अधिक लोगों को सहायता पहुंचाई।
वर्ष के दौरान कंपनी को विविध हिस्सेदारों से अनेक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए - (1) टाटा अफर्मटिव ऐक्शन प्रोग्राम (टीटीएपी) जुलाई अवार्ड, (2) समावेशी व्यवसाय के लिए क्रिएटिंग शेयर्ड वैल्यूज इनिशिएटिव, और (3) एसआइएएम का सीएसआर अवार्ड। साणंद कारखाने में और उसके आस-पास किये गए सीएसआर कार्यों को अहमदाबाद कलेक्ट्रेट द्वारा भी सम्मानित किया गया।