जी- 7 और फाइल आईज के पास शिकायत?
कनाडा सरकार की ओर से कहा गया है कि इस मामले को लेकर वो फाइव आईज और जी- 7 तक लेकर जाएगा। इस दिशा में पीएम ट्रूडो ने सोमवार को ब्रिटेन के पीएम के साथ चर्चा भी की है। हालांकि जानकार मानते हैं कि पिछले साल भी ट्रूडो ने इसी रणनीति पर काम किया था लेकिन इसका कोई फायदा हुआ नहीं। स्वर्ण सिंह कहते हैं कि जी सेवन समिट अगले साल कनाडा में होना है और अगर भारत विशेष आमंत्रित सदस्य की तरह अगर वहां जाने का फैसला ले तो क्या कनाडा की छवि के लिए लिए सही होगा ? जानकार मानते हैं कि बतौर ग्रुप ब्रिक्स की प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही है और ऐसे में चुनौतियों से घिरा जी - 7 भारत जैसी आर्थिक शक्ति को नाराज नहीं करना चाहेगा।
भारत वेट एंड वॉच करेगा, उसके लिहाज से प्रतिक्रिया देगा
जानकार कहते हैं कि कनाडा की ओर से अब तक बेतुकी बयानबाज़ी , खासतौर से खुद वहां के पीएम की ओर से बिना तर्क के आरोप सामने आए हैं। लेकिन भारत में सरकार के शीर्ष स्तर पर खामोश रहकर एक्शन ओरिंइटेड अप्रोच के साथ काम किया गया है। भारत ने पिछले साल 41 कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए कहा था और अब 6 को निष्कासित किया है। ऐसे में भारत की अप्रोच एक्शन ओरिटेंडेट रही है। भारत ने कनाडा की आक्रामक भाषा का शालीनता के साथ कड़ा जवाब दिया है। ऐसे में लगता नहीं कि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी कनाडा के पीछे सपोर्ट में आएगी। पिछली बार भी अमेरिका ने कुछ हद तक इस मामले में कनाडा के साथ इंगेज किया था, बाकी देशों ने इस तरह वोट बैंक वाली राजनीति पर कुछ बोलने से दूरी बनाई थी