बैंक खाता खुलवाकर ठगों को बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश

Updated on 19-12-2021 08:34 PM

भोपाल बेरोजगारों को नौकरी ‎‎दिलवाने का झांसा देकर उनसे बैंक में खाता खुलवाते थे और बाद में यही खाता साइबर ठगों को बेच देते थे। इस तरह की झासेबाज गेंग का पर्दाफाशकिया है साइबर क्राइम ब्रांच ने। राजधानी के दो और बिहार के चार युवकों को साइबर विंग ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से 25 बैंक पासबुक, 22 एटीएम कार्ड, 22 मोबाइल फोन, 18 सिम कार्ड, दो कट्टे और एक जीप बरामद की है। पूछताछ में पता चला है कि ये लोग विभिन्न राज्यों में लगभग 500 लोगों के खाते साइबर ठगों को बेच चुके हैं। पुलिस उपायुक्त साईं कृष्णा थोटा ने बताया कि पिपलानी में रहने वाली एक युवती ने शिकायत दर्ज कराई थी।

उसमें बताया था कि एक युवक ने नौकरी लगवाने के नाम पर उससे बैंक में खाता खुलवाया। इसके बाद उसकी पासबुक, एटीएम कार्ड ले लिया। कुछ समय बाद बैंक वालों ने उसे बताया कि एक महीने में उसके खाते से 41 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया है। युवती ने कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया था। शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। मामले की जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में पिपलानी निवासी आयुष लिटोरिया और निखिल शर्मा को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसके बाद चंपारण बिहार निवासी मो. अजरुद्दीन, राहुल आलम, आलोक कुमार यादव एवं रोहतास निवासी कुंदन कुमार सिंह को गिरफ्तार किया है।

आयुष और निखिल बेरोजगारों से बैंक एकाउंट खुलवाते थे। बिहार में बैठे उनके साथी इन खातों को सायबर ठगों तक पहुंचाने का काम करते थे। आरापितों की ठगी की राशि से जीप खरीदी थे। उससे विभिन्ना राज्यों में जाकर वारदातों को अंजाम दे रहे थे। वह अपने साथ देशी कट्टा भी रखते थे। बताया जा रहा हैकि एक खाता खुलवाने पर अजरूद्दीन को पंद्रह हजार रुपए मिलते थे। अजरूद्दीन साथियों को एक खाते पर तीन से चार हजार देता था। गिरफ्तार आरोपितों ने राजधानी में करीब 25 बेरोजागारों के खाते खुलवाकर सायबर ठगों को बेचे थे।

आरोपी आयुष बेरोजगार लोगों से संपर्क कर निजी कंपनी में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर बैंक में खाता खुलवाता था। खाता खोलने के लिए वह अपनी कंपनी का बताकर मोबाइल नंबर देता था, ताकि खाता खुलवाने वाले के पास कोई मैसेज नहीं पहुंचे। खाता खुलवाने के बाद वह सैलरी के सत्यापन के लिए पासबुक और एटीएम कार्ड ले लेता था। खाते से जुड़े मोबाइल नंबर पर इंटरनेट बैकिंग चालू करके वह सायबर ठगों को बेच देता था।

सायबर ठग इन खातों का इस्तेमाल ठगी के लिए करते थे। सायबर ठगों की एक पूरी चेन होती है। सभी लोग एक दूसरे के सतत संपर्क में रहते थे। अजरुद्दीन उर्फ एमडी इस गिरोह का मास्टर माइंड है। वह भोपाल में रहकर पढ़ाई कर चुका है। आलोक कुमार बारहवीं पास है, जबकि बाकी आरोपी स्नातक और इंजीनियरिंग कर चुके हैं।


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