रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना महामारी ने दुनिया को एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया है जहां से उद्योग, व्यापार और व्यवसाय के साथ ही हर तरह के काम धंधे को एक नई पहल की जरूरत है। इसी तरह सरकारों को भी कारोबार के लिए नए वातावरण के बारे में नए तरीके से सोचने की जरूरत है। लम्बे लॉकडाउन के बाद मांग और पूर्ति को लेकर जो आशंकाएं पैदा हुई हैं उसके लिए नए तरीके की रणनितियों की जरूरत है। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज इकॉनामिक टाइम्स द्वारा आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
श्री बघेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज इस मंच के माध्यम से छत्तीसगढ़ के संसाधनों और रणनितियों के विचार को साझा कर रहा हूं। छत्तीसगढ़ के संसाधनों का दोहन संतुलित तरीके से करने में हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। जिसके कारण हमने लॉकडाउन के दौरान भी अर्थव्यवस्था को बचाए रखा और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की। वास्तव में लॉकडाउन एक ऐसा दौर था, जब हर देश, हर प्रदेश और उसके क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक दूसरे से कटे हुए थे। ऐसे समय में किसी नए काम काज की कल्पना भी संभव नहीं थी।
छत्तीसगढ़ ने अपने निर्यात का आंकड़ा दो गुना कर दिया अर्थात हमने लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ अपना उत्पादन बढ़ाया बल्कि निर्यात भी बढ़ाया है। वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ का निर्यात 9067 करोड़ रूपए था। जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 17200 करोड़ रूपए हो गया। मैं कहना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ में अपार संसाधन विद्यमान हैं। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत वनाच्छादित हैं, आज के जमाने में यह बहुत बड़ी बात है। प्रदेश में इतनी जल सम्पदा है कि उससे सिंचाई क्षमता 75 प्रतिशत की जा सकती है। हालांकि अभी उपलब्ध जल संसाधनों से मात्र 23 प्रतिशत क्षेत्र सिंचाई की जा रही है।
श्री बघेल ने कहा कि हमारा प्रयास है कि इसे जल्द ही दो गुना कर दिया जाए। जिससे हम राष्ट्रीय औसत 38 प्रतिशत से आगे निकल जाए। खनिज संसाधन हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारे यहां कोयले का भंडार 57206 बिलियन टन है। जो देश के कोयला भंडार का लगभग 18 प्रतिशत है। हमारे यहां 4858 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार है जो देश के लौह अयस्क भंडार का लगभग 22 प्रतिशत है। हमारे यहां सामरिक महत्व का टिन अयस्क भंडार 30 मिलियन टन है जो देश के कुल भंडार का 36 प्रतिशत है। टिन अयस्क के उत्पादन के मामले में हम देश के इकलौते राज्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सौभाग्यशाली है, यहां हीरा, अलेक्जेण्ड्राइट, स्वर्ण धातु, मैगनीज, गारनेट जैसे बहुमूल्य खनिज से लेकर चूना पत्थर, बाक्साइट, डोलोमाइट सब कुछ है। विविध खनिजों की ऐसी पूर्णता सामान्यता अन्य राज्यों में नहीं मिलती है। इस तरह एक ओर हमारे यहां खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना की अपार सम्भावनाएं हैं। वहीं दूसरी ओर हीरा सोनाधातु के खनन की भी बड़ी संभावनाएं हैं। उर्जा, इस्पात, सीमेंट और टिन उत्पादन के मामले में हम देश के प्रमुख राज्य हैं। हम अपनी आवश्यकता से अधिक दोगुना उत्पादन करते हैं, और देश के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
श्री बघेल ने कहा कि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लाकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया घरों में बंद थी तब हमारे उद्योगों ने 90 से 100 प्रतिशत तक काम किया। पूरे भारत में जब इस्पात सीमेंट का उत्पादन बंद था तब छत्तीसगढ़ पूरे देश को सप्लाई कर रहा था। इतना ही नहीं हमारे यहां एग्रीकल्चर, फारेस्ट प्रोड्यूज के सेक्टर मे भी जबरदस्त तेजी इस दौरान आयी है। जब देश में बेरोजगारी दर बढ़ रही थी तब हमारे प्रदेश में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर थी। वर्ष 2018 में जब हम सरकार में आये थे। तब बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत थी। विगत दो वर्षों में 2 प्रतिशत के न्यूनतम दर पर पहुंची और आज 3.8 प्रतिशत है। जबकि वर्तमान में भारत में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है।
श्री बघेल ने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने छत्तीसगढ़ में अपनी विशेषताओं और क्षमताओं को उभारने की कोशिश की है। हमने अपने उपलब्ध संसाधनों के वेल्यूएडिशन की नीति अपनायी है। इस तरह हमने ऐसी नीतियां बनाई है जिनसे हम अपनी ही ताकत को इकटठ्ाकर दृढ़ निश्चय के साथ सामूहिक भागीदारी के साथ कुछ नया कर सकें।