भारत और साउथ अफ्रीका के बीच दूसरा टेस्ट डेढ़ दिन में ही खत्म हो गया। 2 टीमें 4 पारियां खेलकर भी 107 ओवर ही बैटिंग कर सकीं। मुकाबले में 642 गेंदें फेंकी गईं, जो 147 साल के टेस्ट इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। इससे पहले किसी भी टेस्ट का नतीजा इतनी कम गेंदों में नहीं आया था।
पूर्व क्रिकेटर्स भी ने केप टाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम की पिच को खराब बताया। टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर और सिलेक्टर सबा करीम ने भास्कर से कहा कि टेस्ट क्रिकेट के लिए ऐसी पिचें खरतरनाक हैं। 2 दिन में टेस्ट मैच खत्म नहीं होना चाहिए। BCCI के पूर्व पिच क्यूरेटर ने भी कहा कि बैटर्स के लिए पिच खराब थी। जानते हैं केप टाउन की पिच पर एक्सपर्ट्स ने क्या कहा...
ICC को एक्शन लेना चाहिए
सबा करीम ने कहा, 'ICC को केप टाउन की पिच पर नजर डालना चाहिए। भारत में अगर ऐसी पिच मिलती तो अब तक चारों तरफ से हल्ला मच जाता। टेस्ट क्रिकेट के लिए ऐसी पिचें खतरनाक हैं। किसी भी देश को टेस्ट के लिए ऐसी पिच नहीं बनाना चाहिए। ये टेस्ट के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।'
'टेस्ट की पिच पर बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों को मदद मिलनी चाहिए। पेसर्स के साथ स्पिनर्स को भी मदद मिलनी चाहिए। किसी भी देश की पिच हो बैटर, पेसर या स्पिनर में से किसी एक को फायदा पहुंचाने वाली पिच की इजाजत नहीं होनी चाहिए। ICC को इस पर सख्त नियम अपनाने चाहिए।'
विराट ने मुश्किल पिच पर भी रन बनाए
सबा करीम ने कहा, 'केप टाउन की पिच पर भारत ही नहीं साउथ अफ्रीका के बैटर्स को भी दिक्कतें हुईं। विराट कोहली के पहली पारी में बनाए 46 रन टीम के लिए बेहद अहम रहे। उनके अलावा कोई बैटर पिच पर टिकने में सक्षम नहीं था।'
भारत अपने पेस अटैक से जीता
सबा बोले, 'टीम इंडिया का पेस अटैक पहले की तुलना में बेहद मजबूत हो चुका है। केप टाउन टेस्ट भारत ने अपने बॉलिंग अटैक की वजह से ही जीता। अनुभवी बुमराह और सिराज के साथ प्रसिद्ध और मुकेश ने भी बेहतरीन बॉलिंग की।'
'भारत के पास सीरीज जीतने का अच्छा मौका था। अभी की टीम साउथ अफ्रीका के इतिहास की सबसे कमजोर टीमों में से एक है। सीरीज अगर 3 टेस्ट की रहती तो भारत के पास जीतने के ज्यादा मौके रहते।'
पिच क्यूरेटर बोले- न्यूलैंड्स में सीमर्स को ही फायदा पहुंचा
BCCI के पूर्व पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह ने कहा, 'केप टाउन की पिच पर केवल सीमर्स को फायदा मिला। बल्लेबाजों के लिए पिच ठीक नहीं थी। कई बार होम टीमें अपने फायदे को देखकर पिचें बनाती हैं लेकिन ऐसा करने से घरेलू टीम ही मुश्किलों में पड़ जाती है। दूसरे टेस्ट की पिच पर भी कुछ ऐसा ही हुआ।'
'टेस्ट मैच 2 या 3 दिन में खत्म हो जाना सही नहीं है। इससे लोगों का टेस्ट देखने का इंटरेस्ट ही खत्म हो जाएगा। टेस्ट की पिच पर शुरुआती सेशन में पेसर्स को मदद मिले, फिर बैटर्स वहां रन बना सके और तीसरा दिन आते-आते स्पिनर्स को भी फायदा हो। ICC को पिच के पैरामीटर सेट करने पर ध्यान देना होगा।'
पूर्व क्रिकेटर ने कहा, 'पिच को दोष देना गलत'
भारत के पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन ने कहा, 'पिच को दोष देना सही नहीं है। केप टाउन का मौसम ही ऐसा है, जहां पेसर्स को स्विंग मिलती है। टेस्ट को लेकर दोनों टीमों का अप्रोच सही नहीं रहा। भारत के बैटर्स में लड़ने का जज्बा नजर नहीं आया। युवा खिलाड़ी डर-डर के बैटिंग करते नजर आए, उन्हें थोड़ा निडर होकर खेलना होगा।'
'गेंदबाजों में चारों ही पेसर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया। मुकेश का करियर आगे बेहतर नजर आ रहा है, वह बैटर्स पर दबाव बनाने में सफल हो रहे हैं। इसलिए वह इस फॉर्मेट में लम्बे समय तक अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं।'
5 दिन भी नहीं चले 2 टेस्ट
साउथ अफ्रीका और भारत के बीच 2 टेस्ट की सीरीज में 5 दिन का भी खेल नहीं हुआ। पहला टेस्ट 3 दिन तक चला, इसे साउथ अफ्रीका ने पारी और 32 रन से जीता। जबकि दूसरा टेस्ट एक दिन और दूसरे सेशन में ही खत्म हो गया, इसे भारत ने 7 विकेट से जीता। यानी दोनों मुकाबले मिलाकर भी 5 दिन का खेल पूरा नहीं हो सका।
पहले टेस्ट में 210.3 ओवर और दूसरे में 108 ओवर फेंके गए। यानी 2 टेस्ट मैच 318.3 ओवर में खत्म हो गए। टेस्ट के एक दिन में 90 ओवर फेंके जाते हैं, अगर इस हिसाब से देखें तो टेस्ट सीरीज में साढ़े 3 दिन के ओवर ही फेंके जा सके, क्योंकि 4 दिन में भी कुल 360 ओवर की बॉलिंग होती है।
ओवर के हिसाब से सबसे छोटा टेस्ट
ओवर फेंके जाने के हिसाब से ये इतिहास का सबसे छोटा टेस्ट मैच रहा, जिसमें नतीजा निकला। केप टाउन टेस्ट में साउथ अफ्रीका ने 60.1 (36.5 और 23.2) ओवर बैटिंग की। जबकि भारत ने 46.5 (34.5 और 12) ओवर बैटिंग की। यानी मैच 107 ओवर में ही खत्म हो गया।
इससे पहले सबसे छोटे टेस्ट का रिकॉर्ड 1932 में बना था। तब मेलबर्न में साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट महज 109.2 ओवर चला था। इस मुकाबले में 656 गेंदें फेंकी गई थीं, इसे ऑस्ट्रेलिया ने पारी और 72 रन से जीता था। जबकि भारत और साउथ अफ्रीका के बीच मुकाबले में 642 गेंदें ही फेंकी गईं।