भोपाल । इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला 'सप्ताह का प्रादर्श' के अंतर्गत आज नवम्बर माह के तीसरे सप्ताह के प्रादर्श के रूप में "बनम"(धनुष द्वारा बजाया जाने वाला एकल तंतु वाद्ययंत्र), बांकुरा, पश्चिम बंगाल के संथाल समुदाय से संकलित जिसका माप- ऊँचाई - 71.5 सेमी, चौड़ाई - 20 सेमी ; मध्य भाग की मोटाई - 11.5 सेमी है। इसे संग्रहालय द्वारा सन, 2003 में बांकुरा, पश्चिम बंगाल के संथाल समुदाय से संकलित किया गया है। इस प्रादर्श को इस सप्ताह दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।
इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि बनम धनुष द्वारा बजाया जाने वाला एकल तंतु वाद्ययंत्र है जो संथाल जनजाति के प्राचीन वाद्ययंत्रों में से एक है। इसे लकड़ी के एक ही टुकड़े पर उकेरा गया है। इसके खोखले निचले हिस्से को गुहेरे की खाल से ढका गया है और बांस की कीलों से कस दिया गया है। घोड़े के बालों से बनी डोरी को एक सिरे से दूसरे सिरे तक बांधा गया है, जिस पर धनुष के प्रयोग से ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
यह सभी त्योहारों और विशेष रूप से खेतों की उर्वरता और फसलों की कटाई से जुड़े त्योहारों के दौरान अन्य वाद्य यंत्रों के साथ बजाया जाता है। धनुष से बजाते समय बनम की डोरी पर बाएं हाथ की उंगलियों को हल्के से दबाने से सुर उत्पन्न होते हैं। बनम एक पारंपरिक वाद्ययंत्र के साथ-साथ अपने अलंकृत रूपांकनों और आकर्षक कलाकृतियों की कारीगरी के लिए भी प्रख्यात है।
इसकी एक छोटी गर्दन और एक सिर है जिसे मानव सिर के आकार में खूबसूरती से उकेरा गया है। वाद्य यंत्र को ट्यून करने के लिए एक खूंटी कान में डाली गई है और तार को मुंह से निकाला गया है। वाद्ययंत्र का ऊपरी भाग मानव चेहरे की आकृति में उकेरा गया है जिस पर गुरु और उनके शिष्यों को इंगित करती खड़ी मुद्रा में तीन महिलाओं की लघु मानवीय आकृतियां एक मुकुट के रूप में सुशोभित हैं।
दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट तथा फेसबुकपर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।