कोरबा एकीकृत महिला बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल के द्वारा प्रक्रियाएं अपनाई जा रही है। राज्य स्तरीय भर्ती परीक्षा के अंतर्गत कोरबा जिले में 30 केंद्रों में 9150 परीक्षार्थी शामिल हुए। खास बात यह रही कि ग्रेजुएट से लेकर एम. फिल और पीएचडी डिग्री होल्डर भी इस परीक्षा का हिस्सा बने।
बाल और महिला सुपोषण, स्वास्थ्य सहित अन्य गतिविधियों के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही है उसका पूरा दारोमदार आंगनबाड़ी केंद्रों और उनसे संबंधित सेक्टर पर टिका हुआ है। भारत सरकार के द्वारा परिवर्तित योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इस विभाग पर है। योजनाएं धरातल पर जारी रहने के साथ परिणाममूलक साबित हो सके इसके लिए कई स्तर पर प्रयास करने होते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुपरवाइजर पर दी गई है। कोरबा समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में सुपरवाइजर के 300 पद वर्तमान में रिक्त हैं।
इन्हें भरने के लिए कुछ समय पहले प्रस्ताव बनाया गया था और उक्तानुसार आगे की औपचारिकताएं पूरी की गई। व्यवसायिक परीक्षा मंडल ने इसके लिए परीक्षा आयोजित की। स्नातक और अन्य उपाधि व अनुभव रखने वाले विद्यार्थी इस परीक्षा का हिस्सा बने। इसके लिए उन्होंने व्यापमं को अच्छी खासी परीक्षा शुल्क अदा की और समय पर भरसक तैयारी भी की। इसके माध्यम से एक बात और स्पष्ट हुई कि समय के साथ-साथ पढ़े-लिखे लोगों की संख्या का अनुपात बढ़ रहा है और वे रोजगार के अवसरों की तलाश के लिए भी आगे आ रहे हैं।
परीक्षा के नोडल ऑफिसर डॉ. गोविल ने बताया कि कोरबा जिले के शहरी और अन्य क्षेत्रों में कुल 30 परीक्षा केंद्र बनाए गए। इसके लिए 9769 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था। इनके मुकाबले 9150 की उपस्थिति परीक्षा में दर्ज हुई जबकि 619 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। नोडल समन्वयक के अलावा परीक्षा केंद्रों में एक-एक प्रभारी और इतने ही आब्जर्वर व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की गई जिन्होंने परीक्षा का संपन्न कराया। किसी भी स्तर पर अनुचित सामाग्री का उपयोग ना हो सके, इसे ध्यान में रखते हुए तीन फ्लाइंग स्क्वाड भी बनाए गए जिन्होंने अपना दायित्व निभाया। द्वितीय पाली में आयोजित हो रही एक अन्य परीक्षा जो सीधी भर्ती पैटर्न पर है, उसके लिए 4 केंद्रों में 1150 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं।