नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानी NATO को जल्द एक नया मेंबर स्वीडन के रूप में मिल सकता है। अब तक तुर्किये की वजह से यह मुमकिन नहीं हो सका था, लेकिन इस मामले में भी स्वीडन को कामयाबी मिलने लगी है।
न्यूज एजेंसी ‘एपी’ की रिपोर्ट के मुताबिक- मंगलवार को तुर्किये की संसद की एक समिति ने NATO में शामिल होने के स्वीडन के प्रपोजल को मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव प्रेसिडेंट रिसेप तैयप एर्दोगन की सरकार की तरफ से रखा गया था।
अभी एक और कड़ी बाकी
रिपोर्ट के मुताबिक- स्वीडन के लिए यह बड़ी कामयाबी तो है, लेकिन उसका मकसद पूरा नहीं हुआ है। अब उसे तुर्किये की जनरल असेंबली से भी समर्थन की उम्मीद है। इसके लिए एक प्रोटोकॉल है और यह प्रोसेस कब शुरू होगी, इसका ऐलान नहीं किया गया है। तुर्किये की सरकार करीब एक साल से स्वीडन की NATO मेंबरशिप की राह में अड़ंगे लगा रही थी।सौदेबाजी के बाद कामयाबी
- स्वीडन को नाटो में शामिल किए जाने की मुहिम ने करीब 6 महीने पहले जोर पकड़ा था और इसमें अमेरिका की भूमिका अहम थी। NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन स्टोल्टनबर्ग ने खुद इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था- तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन स्वीडन के NATO से जुड़ने का प्रस्ताव अपनी नेशनल असेंबली में पेश करने के लिए तैयार हो गए हैं। हमें उम्मीद है कि ये जल्द ही पारित हो जाएगा।
- लिथुआनिया के विल्नियस शहर में जुलाई में हुई NATO समिट के दौरान स्टोल्टनबर्ग ने स्वीडन और तुर्किये के लीडर्स के साथ बैठक की थी। इसके बाद एक जॉइंट स्टेटमेंट में स्वीडन के प्रधानमंत्री क्रिस्टर्सन ने कहा था- ये स्वीडन के लिए अच्छा दिन है।
- NATO मेंबरशिप के बदले स्वीडन तुर्किये के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के प्रयासों का समर्थन करेगा। दरअसल, एर्दोगन ने स्वीडन की मेंबरशिप को लेकर कहा था कि तुर्किये की संसद से स्वीडन की नाटो बिड अप्रूव होने से पहले यूरोपियन यूनियन (EU) को उन्हें अपना हिस्सा बनाना चाहिए।
- कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि तुर्किये स्वीडन की सदस्यता के जरिए अमेरिका पर फाइटर जेट्स देने के लिए भी प्रेशर बना रहा था। दरअसल, अक्टूबर 2021 में तुर्किये ने 20 अरब डॉलर के F-16 फाइटर जेट्स सहित मौजूदा वॉरप्लेन्स के लिए 80 मॉर्डेनाइजेशन किट खरीदने की रिक्वेस्ट की थी। हालांकि, अब यह डील भी हो चुकी है।