कोरबा. विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर 25 अप्रैल को मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए जिले में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान नागरिकों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने, इस रोग से बचाव और सावधानी के लिए लोगो का ध्यान आकर्षित करने की पहल की गई। इस अवसर पर भारत से मलेरिया दूर करने तथा वर्ष 2030 तक छत्तीसगढ को मलेरिया मुक्त करने के लिए सब मिलकर काम करने के संदेश के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा पोस्टर, बैनर आदि के द्वारा मलेरिया से बचाव के संदेशों का प्रचार-प्रसार किया गया। साथ ही सभी स्वास्थ्य केन्द्रो में मलेरिया से बचने के तरीके और उपचार के बारे में लोगो को जानकारी दी गयी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिको से मलेरिया के लक्षणो का अनुभव होने पर तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करने तथा खून जांच कराने की अपील की गयी। खून जांच एवं मलेरिया रोधी दवा सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.बी. बोर्डे ने बताया कि मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लोग अपनी जान गवा देते हैं। मलेरिया प्रोटोजुवन प्लाज्मोडियम नामक किटाणु मादा एनाफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते है। ये मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक संक्रमण फैलाने का काम भी करते है। मलेरिया एक वैश्विक जन स्वास्थ्य समस्या है। इससे बचने के लिए घर के आस-पास नालियों में पानी जमा नही होने देना चाहिए जिससे मच्छर ना पनप पाये। इसी उपक्रम मे जिला मुख्यालय एवं सभी विकासखण्ड़ों में 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। जिसमें मलेरिया रोग से बचाव एवं रोकथाम के बारे में लोगो को जागरूक एवं इसके दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराया गया। मलेरिया के संक्रमण को रोकने के प्रति किये गये कोरबा जिले के कार्यो एवं उसकी उपलब्धि से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.बी. बोर्डे एवं जिला मलेरिया नोडल अधिकारी डॉ. कुमार पुष्पेश द्वारा विगत 05 वर्षों के आंकड़ो की समीक्षा की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गये प्रचार-प्रसार ग्रामीण स्तर पर डी.डी.टी. छिड़काव, मच्छरदानी वितरण एवं उपचार से मलेरिया वार्षिक परजीवी सूचकांक 2017 मे 2.97 था, जो घटकर वर्ष 2021 मे 0.12 हो गया है।