कोरबा कोरबा जिले में निवासरत कोरवा व बिरहोर जनजाति के सात ग्रामीणों को कर्नाटक में बंधक बना कर काम लिए जाने के आरोप में श्रम विभाग ने कर्नाटक के श्रम विभाग को पत्र प्रेषित किया है। वहीं पुलिस भी कथित बंधक बनाए गए ग्रामीणों का सही लोकेशन तलाश करने में जुटी हैं। कोरबा जिला पुलिस का कहना हैं की उनके स्थान का पता चलते ही उन्हें छुड़ाने कर्नाटक रवाना होगी।
जानकारी मिली हैं की कोरबा जिले के ग्राम पंचायत अजगरबहार, लेमरू व देवपहरी के रहने वाले जोतराम बिरहोर 17 वर्ष, भवन राम बिरहोर 16 वर्ष, राम सिंह कोरवा 36 वर्ष, दिलीप कुमार 22 वर्ष, टिकाउराम 26 वर्ष, पुसउराम कोरवा 18 वर्ष व पुन्नााीराम बिरहोर 16 वर्ष को करीब एक माह पूर्व बांधापाली के रामपुर में निवास करने वाले युवक अपने साथ अधिक वेतन दिलाने का वादा कर कर्नाटक ले गया।
बताया जा रहा है कि यहां उसने बैंगलोर के बैटिक ग्राम में संचालित एक बोरबेल कंपनी में काम लगवा दिया, लेकिन उन्हें वहां काम करना पसंद नहीं आया। तब उसने दूसरे दिन एक अन्य बोरवेल कंपनी से बात कर नए ठेकेदार के हवाले उन्हें करवा दिया और खुद वापस लौट आया। कुछ दिनों तक काम करने कर्नाटक गए ग्रामीणों से मोबाइल पर संपर्क रहा, पर अचानक सभी के मोबाइल बंद हो गए और संपर्क टूट गया। इससे परेशान होकर स्वजनों ने उस एजेंट को पकड़ा, जिसके हवाले सातों ग्रामीणों को किया था। उसका आश्चर्यजनक जवाब सुनकर सभी हतभ्रत रह गए।
उसने साफ तौर पर यह कह दिया कि वह केवल उस बोरवेल संचालक को जानता है, जहां उन्हें पहली बार लेकर गया था। दूसरा बोरवेल के संचालक कौन है और कहां पर यहां से भेजे गए मजदूर काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी उसे नहीं है। इससे स्वजनों की चिंता बढ़ गई और इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच कर दो महिलाओ ने की। दोनों का कहना है कि उनके स्वजनों को पुलिस ढूंढ कर लाए। प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मजदूरों के सकुशल वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोरबा के श्रम विभाग ने बैंगलुरू के श्रम विभाग को पत्र लिख कर विवरण प्रस्तुत कर ग्रामीणों की उपस्थिति की जानकारी मांगी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने बताया कि बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए गए हैं।