नई दिल्ली: असम राइफल्स मणिपुर की इम्फाल घाटी के सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन के ड्रोन को खदेड़ने के लिए एंटी ड्रोन लेकर आई है। मणिपुर में तैनात सीआरपीएफ ने भी इस एंटी ड्रोन सिस्टम का टेस्ट किया है। सीआरपीएफ इसके बाद अधिक एंटी-ड्रोन बंदूकें भी तैनात करने की प्रक्रिया में है। मणिपुर पुलिस ने हमलों का मुकाबला करने के लिए इन बंदूकों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि ये एंटी ड्रोन क्या होते हैं? तो आइए विस्तार से समझते हैं।पहले ताजा हालात जानिए
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह कुकी जो समूहों द्वारा उठाए गए एक अलग प्रशासन की मांग के आगे न झुकें, यह बात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताई है। अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सौंपे गए ज्ञापन में यह अपील की है। सिंह ने ऑपरेशन स्थगन समझौते को रद्द करने का भी आह्वान किया है। शनिवार को हुई ताजा हिंसा में छह लोगों की मौत के बाद राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मणिपुर सरकार ने घोषणा की है कि सोमवार को स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण मणिपुर विश्वविद्यालय में चल रही स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। नई तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।
क्या होता है एंटी ड्रोन?
एंटी-ड्रोन सिस्टम को काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) तकनीक भी कहा जाता है। इसका उपयोग ड्रोन का पता लगाने, पहचानने, ट्रैक करने और निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है। एंटी-ड्रोन सिस्टम ड्रोन का पता लगाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
➤रडार
➤रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर
➤ध्वनिक सेंसर
➤इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (ईओ/आईआर) कैमरे
एक बार जब किसी ड्रोन का पता चल जाता है, तो एंटी-ड्रोन सिस्टम एडवांस सॉफ्टवेयर का उपयोग ड्रोन के प्रकार, मॉडल और उड़ान पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए करते हैं। यह जानकारी खतरे के स्तर और उचित प्रतिक्रिया का निर्धारण करने में मदद करती है। काउंटरमेजर में शामिल हो सकते हैं:
➤ड्रोन के संचार लिंक को बाधित करना
➤इसके नेविगेशन सिस्टम को जाम करना
➤ड्रोन को शारीरिक रूप से रोकना और पकड़ना