उज्जैन महाकाल ज्योतिर्लिंग का क्षरण थमा या नहीं… आज पता चलेगा, एक्सपर्ट्स करेंगे जांच

Updated on 15-10-2024 11:52 AM

 उज्जैन। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले में मंगलवार को विशेषज्ञों का दल जांच के लिए आ सकता है। सूत्र बताते हैं इसमें एएसआई, जीएसआई तथा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक्सपर्ट कमेटी हर छह माह में ज्योतिर्लिंग के क्षरण तथा मंदिर स्ट्रक्चर की मजबूती की जांच करने उज्जैन आती है।


2017 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु नाम की महिला ने वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ( एएसआई), जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के विशेषज्ञों की समिति गठित की थी।


एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य वर्ष 2019 से लगातार क्षरण की जांच कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव दिए हैं। मंदिर समिति ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए विशेषज्ञों द्वारा दिए गए अधिकांश सुझावों पर अमल कर रही है।


निरंतर प्रयास से क्षरण की स्थिति कैसी है, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विशेषज्ञ इस की पड़ताल करने आते हैं। हर छह माह में एक्सपर्ट जांच करने उज्जैन पहुंचते हैं।


एक्सपर्ट के सुझाव पर समिति कर रही यह उपाय


  • भगवान महाकाल का आरओ जल से अभिषेक किया जा रहा है।
  • भस्म आरती में ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढक कर भस्म लगाई जा रही है।
  • पंचामृत में शकर की जगह, अब खांडसारी का उपयोग किया जा रहा है।
  • भगवान को 13 kg के बजाए 8 kg के चांदी के आभूषण चढ़ाए जा रहे हैं।
  • भगवान को आभूषण धारण कराने से पहले ज्योतिर्लिंग को ढंका जाता है।
  • बता दें, नियमित जल चढ़ाने के साथ ही विभिन्न चीजों का लेप करने से देश के विभिन्न स्थानों पर शिवलिंग के क्षरण का मुद्दा उठाया है। इसके बाद से एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण शिवलिंग पर चढ़ाए जा रहे जल की गुणवत्ता का है।

    गर्भगृह से नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जांच

    महाकाल मंदिर में विशेषज्ञों द्वारा गर्भगृह से लेकर नागचंद्रेश्वर मंदिर तक विभिन्न बिंदुओं पर जांच की जाती है। इसमें ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के साथ मंदिर के मूल ढांचे की मजबूती को लेकर भी पड़ताल की जाती है।

    मंदिर स्ट्रक्चर को नुकसान नहीं पहुंचे, इसलिए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए विशेष पुल बनाया गया है। नागपंचमी पर इसी खास ब्रिज के रास्ते देशभर से आने वाले श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने द्वितीय तल पर पहुंचते हैं।


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