बहराइच दंगे में भीड़ को किसने उकसाया...क्या कांग्रेस शासन के मुकाबले कम हुए मोदी राज में दंगे, साइकोलॉजी समझिए

Updated on 17-10-2024 01:09 PM
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बहराइच के महाराजगंज कस्बे में 13 अक्टूबर की शाम को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंसा में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दंगे भड़क उठे, जिससे दोनों समुदायों के बीच जमकर झड़प हुई। मामले में पुलिस ने 12 एफआईआर दर्ज की हैं, जबकि 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा के दौरान 50 से अधिक घरों में तोड़फोड़ की गई। इन घरों में एक भी शख्स मौजूद नहीं है। हरदी और महसी इलाके 20 किमी क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई हैं। आइए-जानते हैं कि बहराइच जैसे दंगों का मनोविज्ञान क्या होता है? क्यों भीड़ बिना कुछ जाने-समझे कहीं पर टूट पड़ती है?

ग्रेट कलकत्ता किलिंग में मारे गए थे 10 हजार लोग


16 से 19 अगस्त के बीच 1946 के कलकत्ता दंगे भड़क उठे थे, जिन्हें ग्रेट कलकत्ता किलिंग के रूप में भी जाना जाता है। यह कार्रवाई मोहम्मद अली जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन डे बुलाने पर हुआ था। ये दंगे संभवतः 1946-47 की अवधि के सबसे कुख्यात नरसंहार माने जाते हैं, जिसके दौरान भारत के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। हालांकि, इसी के बाद से जिन्ना के 'पाकिस्तान से कम कुछ भी मंजूर नहीं है' की बात पर दंगे भड़क उठे थे।

फैरोहों के राज में मिस्र में भड़के थे पहली बार दंगे


माना जाता है कि मिस्र के फैरोहों की सभ्यता के दौरान दंगे भड़के थे। ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं कि दो समुदायों के बीच दंगे हुए थे। मेसोपोटामियाई सभ्यता में भी इसके प्रमाण मिले हैं। रोमन साम्राज्य के दौर में भी ऐसी सांप्रदायिक हिंसा या दंगों का दौर चला था। दुनिया में ईसाई बनाने या मुस्लिम धर्मांतरण के दौरान हुए धर्मयुद्धों में भी ऐसे दंगों का इस्तेमाल किया गया था।

भीड़ की आंखें नहीं होती हैं, यही है इसका मनोविज्ञान


किसी भी दंगे या हिंसा में भीड़ होती है, जिसकी आंखें नहीं होती हैं। यानी भीड़ कुछ भी सोच-समझकर नहीं चलती है। यही भीड़ का मनोविज्ञान है। भीड़ के मनोविज्ञान का सिद्धांत गुस्ताव ले बॉन (1841-1931), गेब्रियल टार्डे (1843-1904) और सिगमंड फ्रायड (1856-1939) ने दिया था। राल्फ एच. टर्नर और लुईस किलियन ने के अनुसार शुरुआत में भीड़ में थोड़ी एकता होती है, लेकिन मिल-जुलकर रहने की अवधि के दौरान इसकी अगुवाई करने वाले कुछ प्रमुख सदस्य एक्शन की अपील करते हैं, जिससे भीड़ उग्र हो जाती है। उस वक्त भीड़ किसी के कहने पर एकजुट होती है और उसी के दिमाग के अनुसार काम करती है।


सोशल आइडेंटिटी थ्योरी यानी पहचान और वर्चस्व का संकट


एनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइकोलॉजी के स्टीफन रिचर के अनुसार, सोशल आइडेंटिटी थ्योरी के अनुसार, भीड़ में अलग-अलग सामाजिक समूह होता है, जिनके नैतिक और व्यावहारिक मूल्य अलग-अलग होते हैं। वक्त के अनुसार इनके मकसद भी बदल जाते हैं। यह भीड़ समाज में अपनी पहचान और वर्चस्व बनाने के लिए ऐसी हिंसा में अक्सर शामिल हो जाती है।

भाजपा के मुकाबले कांग्रेस शासन में ज्यादा हिंसा


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2006 से 2013 के वर्षों के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) शासनकाल की तुलना में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 2014 से 2021 तक के शासन में सांप्रदायिक हिंसा में हुई हत्याओं में 12 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

सांप्रदायिक हिंसा में कांग्रेस राज में ज्यादा की गई जान


एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2021 के बीच देश भर में सांप्रदायिक हिंसा में 190 हत्याएं दर्ज की गईं। वहीं, 2006 से 2013 के वर्षों में ऐसी हत्याएं 216 हुई थीं। हालांकि, ऐसी हिंसा में ज्यादातर लोग घायल होते हैं और संपत्तियों का नुकसान काफी ज्यादा होता है।

दिल्ली और यूपी सबसे ज्यादा प्रभावित


एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार, 2014-2021 की अवधि में सांप्रदायिक हिंसा में 53 हत्याओं के साथ दिल्ली में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। इससे पहले, 2006-2013 की अवधि में 63 हत्याओं के साथ उत्तर प्रदेश इस सूची में शीर्ष पर था। वहीं, 2000 के बाद 2002 में हुए दंगों में 308 लोग मारे गए थे। उस वर्ष 276 मामलों के साथ गुजरात इस सूची में शीर्ष पर था।

दंगों या जातीय हिंसा के पीछे काम करती हैं 4 थ्योरी


अमेरिकी रणनीतिकार और लेखक जोनाथन गॉटशैल ने अपनी किताब ‘एक्सप्लेनिंग वॉरटाइम रेप: द जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च’ और सुजैन ब्राउनमिलर ने अपनी किताब ‘अगेंस्ट अवर विल’ में दंगों और हिंसा के पीछे 4 थ्योरी का जिक्र किया है। ये थ्योरी न्यूयॉर्क में यूनियन कॉलेज में प्रोफेसर सोनिया टाईमैन की स्टडी से ली गई हैं। इनमें कहा गया है कि जातीय संघर्षों, युद्ध या सांप्रदायिक दंगों में पुरुषों की हत्या करने और महिलाओं से रेप करने या उन्हें गुलाम बनाने के पीछे 4 सिद्धांत काम करते हैं। जिन्हें प्रेशर कुकर थ्योरी, कल्चरल पैथोलॉजी थ्योरी, सिस्टमेटिक या स्ट्रैटेजिक रेप थ्योरी और फेमिनिस्ट थ्योरी कहा जाता है।

पूर्वाग्रह, नफरत और डर काम करता है दंगों के पीछे


पूर्व पुलिस अफसर और IPS विभूति नारायण राय ने किताब लिखी है-सांप्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस। इसमें उन्होंने कहा है कि सांप्रदायिक दंगों को प्रशासन की एक बड़ी असफलता के रूप में लिया जाना चाहिए। पुलिस में काम करने वाले लोग उसी समाज से आते हैं जिसमें सांप्रदायिकता के वायरस पनपते हैं। उनमें वे सब पूर्वाग्रह, नफरत, संदेह और भय होते हैं जो उनका समुदाय किसी दूसरे समुदाय के प्रति रखता है। अपनी एक और किताब शहर में कर्फ्यू में उन्होंने लिखा है कि सियासत के जरिए देश के दो बड़े धार्मिक तबकों में अविश्वास पैदा किया जाता रहा है।

दंगों के लिए जरूरी हैं ये तीन चीजें, यही भड़काती हैं


कई एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि दंगे करवाने के लिए तीन चीजें बहुत जरूरी होती हैं। पहला-नफरत पैदा करना। दूसरा-दंगों में इस्तेमाल होने वाले हथियारों को बांटना और ईंट-पत्थर फेंक कर तनाव बनाना। तीसरा-ऐसी हिंसा में कहीं ना कहीं पुलिस भी जिम्मेदार होती है।

बहराइच में भी झंडा हटाने के बाद हुई फायरिंग


बहराइच में भी छत से हरा झंडा हटाने की कथित कोशिश के बाद तनाव फैल गया। घर से फायरिंग हुई और फिर पथराव शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि इसी पथराव में मूर्ति टूट गई और फिर क्या था। विवाद चरम पर पहुंच गया। भीड़ भड़की, जमकर तोड़फोड़ की गई। घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। आगजनी होने लगी, चुन-चुनकर दुकानों को निशाना बनाया गया। पुलिस ने फिर किसी तरह भीड़ को काबू किया।

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 23 November 2024
भाजपा की सहयोगी पार्टी तेलगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अडाणी रिश्वत मामले पर प्रतिक्रिया दी है। नायडू ने विधानसभा में कहा कि…
 23 November 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 7 बजे दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंचेंगे। यहां वे कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव के नतीजों पर चर्चा करेंगे।महाराष्ट्र की 288…
 23 November 2024
देश के उत्तरी राज्यों के साथ अब मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी ठंड का असर बढ़ता जा रहा है। शनिवार को राजस्थान और मध्य प्रदेश के 18 शहरों में…
 23 November 2024
दिल्ली 5 दिन बाद शुक्रवार शाम को फिर गैस चैंबर में तब्दील हो गई। शनिवार सुबह 6 बजे भी दिल्ली के 9 इलाकों में प्रदूषण गंभीर कैटेगिरी में रिकॉर्ड किया…
 22 November 2024
नई दिल्ली : भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ करेंगे। इसकी घोषणा सहकारी संस्था इफको, भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालयऔर अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन द्वारा संयुक्त रूप…
 22 November 2024
शराब नीति केस में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर गुरुवार दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने ED को नोटिस जारी किया। इसमें जांच एजेंसी से…
 22 November 2024
भाजपा ने गुरुवार को कहा अडाणी ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी केस में नामित चारों राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और तमिलनाडु में उसकी सहयोगी पार्टी…
 22 November 2024
झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा व्यक्ति जिंदा हो गया। हालांकि, 12 घंटे बाद जयपुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं, जिंदा युवक को मृत…
 22 November 2024
उदयपुर में डंपर ने कार को टक्कर मार दी। हादसे में 5 युवकों की मौत हो गई। मृतकों में हेड कॉन्स्टेबल का बेटा भी था। हादसा रात गुरुवार करीब 12…
Advt.