एक सूफी बुलबुल शाह ने कश्मीर में फैलाया इस्लाम
कश्मीर के शासन काल का 1301 से 1320 तक का साल राजा सहदेव के शासनकाल के नाम था। इस दौरान बड़ी संख्या में कश्मीर की जनता सूफी धर्म प्रचारकों के प्रभाव में और मजबूरी में इस्लाम स्वीकार कर चुकी थी। दरअसल, तुर्किस्तान से आए एक सूफी धर्म-प्रचारक बुलबुल शाह ने इस्लाम को कश्मीर में जमकर फैलाया, जिसे सैयद शरफुउद्दीन, सैय्यद अब्दुर्रहमान और बिलाल शाह भी कहा गया है। बुलबुल शाह सुहरावर्दी मत के सूफी खलीफ शाह नियामतुल्लाह वली फारसी के चेले थे। इसी के दौर में तिब्बत से भागे हुए रिंचन कश्मीर पहुंचे, जिसे कश्मीरी राजा ने शरण दी।
रिंचन को मजबूरी में अपनाना पड़ा इस्लाम
माना जाता है कि रिंचन ने हिंदू राजा रामचंद्र की बेटी से शादी कर ली। वह हिंदू धर्म अपनाना चाहते थे, मगर उन्हें शामिल नहीं किया गया। उस समय के कश्मीरी शैव गुरु ब्राह्मण देवस्वामी ने उन्हें हिंदू धर्म में शामिल करने से इनकार कर दिया। ऐसे में रिंचन ने हारकर इस्लाम कबूल कर लिया। तब बुलबुल शाह ने रिंचन को सद्रउद्दीन नाम दे दिया। इस तरह वह कश्मीर के पहले मुस्लिम शासक बन गए।