भोपाल । राजधानी के जम्बूरी मैदान में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर होने वाले जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमृत माटी का कलश भेंट किया जाएगा। कलश प्रदेश के 75 चयनित स्थान,
जो आजादी के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों की जन्मभूमि, बलिदान भूमि व उनके जीवन से जुड़े स्थान हैं, की माटी होगी। कार्यक्रम से वर्चुअली प्रदेशभर के दो करोड़ से अधिक व्यक्ति जुड़ेंगे। प्रधानमंत्री के सामने 46 जनजातियों के 700 से अधिक कलाकार जनजातीय समुदाय की कला, संस्कृति और धरोहर के विविध स्वरूप को प्रदर्शित करने वाली प्रस्तुति देंगे।
प्रधानमंत्री 15 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट पर भोपाल के राजाभोज विमानतल पर पहुंचेंगे। जनजातीय गौरव दिवस प्रदेश में धूमधाम से मनाने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सरकार ने तय किया है कि प्रधानमंत्री का जनजातीय समाज के परंपरागत तौर-तरीकों से स्वागत किया जाएगा। उन्हें आदिवासी पगड़ी पहनाई जाएगी और तीर-कमान, चित्र सहित अन्य उपहार दिए जाएंगे। जनजातीय कलाकार उनके स्वागत में लोक नृत्य की प्रस्तुति देंगे। प्रदेश में टीकाकरण उपलब्धि और झाबुआ जिले के नरसिंहरुंडा गांव द्वारा शत-प्रतिशत कोविड टीकाकरण की उपलब्धि पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री हेलिकाप्टर से बारह बजकर 50 मिनट के आसपास जम्बूरी मैदान पहुंचेंगे। यहां उनकी अगवानी जनजातीय भाई-बहनों के पारंपरिक समूह नृत्य के माध्यम से होगी। वे बिरसा मुंडा एवं जनजातीय समाज के क्रांतिकारियों पर केंद्रित प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे और जनजातीय महिलाओं के स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों को देखेंगे।
प्रधानमंत्री यहां से सीधे बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में बनाए गए हेलीपैड पहुंचेंगे और सड़क मार्ग से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करेंगे।
वे अपराह्न चार बजे भोपाल से दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। प्रधानमंत्री के संबोधन का सभी पंचायतों में सीधा प्रसारण होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को भोपाल आएंगे। इस दौरान पीएम मप्र में प्रथम विस के लिए निर्वाचित सदस्य लक्ष्मीनारायण गुप्ता का सम्मान करेंगे। गुप्ता 1952 में पहली बार हिंदू महासभा के प्रत्याशी के रूप में शिवपुरी जिले के पिछोर विस क्षेत्र से चुने गए थे।
वे राजस्व मंत्री रहे हैं और वर्तमान में 103 वर्ष के हैं।कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए प्रदेशभर से जनजातीय भाई-बहन भोपाल पहुंच रहे हैं। इनके लिए भोपाल के आसपास 12 शहरों में ठहरने, भोजन, चाय आदि की व्यवस्था की गई है। सामाजिक व स्वयंसेवी संगठन कार्यक्रम में शामिल होने वालों का स्वागत करेंगे। शहर के प्रमुख चौराहों पर जनजातीय समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में स्वागत करेंगे।