विघ्नहर्ता गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी विघ्नों को हरने के लिए आ रहे हैं। चारों तरफ पंडाल सज चुके हैं और गणपति अपने भक्तों के यहां पधारने वाले हैं। ऐसे गणेशमय माहौल में हमने सिलेब्रिटीज से जाना कि वो कौन-सा दौर था, जब उन्हें अपने लाड़ले बप्पा की प्रतिमा भेंट स्वरूप मिली हो और उनके विघ्न दूर हुए हों। हमें मिले कुछ दिलचस्प जवाब।
आज से तकरीबन 5 साल पहले मैंने 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से जब अपने करियर की शुरुआत की, तो मैं खुद के लिए एक गणपति ले आई थी या यूं कहिए मैंने खुद को ये मूर्ति गिफ्ट की थी। उसके बाद से मैं अपने कमरे में हमेशा गणपति की एक मूर्ति रखती हूं। मेरा मानना है कि विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के आशीर्वाद से ही मेरा करियर लगातार आगे बढ़ता चाला गया है। वैसे भी गणेशोत्सव मेरे लिए खास होता है। हम लोग हमारे घर में गणपति लाते हैं। इस मौके पर मेरा परिवार और दोस्त सभी इकट्ठा होते हैं। हर साल में बप्पा के कान में अपनी मनोकामना फुसफुसाती हूं और बप्पा उसे पूरा जरूर करते हैं। इन दोनों मुझे दूसरों के घरों की गणपति के दर्शन करने में भी बहुत सुकून मिलता है।
बप्पा ने मेरे सारे विघ्न दूर किए: श्रेयश तलपड़े
मुझे याद है इंडिपेंडेंट प्रॉड्यूसर होने के नाते मेरी पहली फिल्म 'पोस्टर बॉयज' का हम लॉन्च करने जा रहे थे। मैं काफी घबराया हुआ था। मेरे एक मित्र हैं के एस संजय, उन्होंने लॉन्च के ठीक 5 मिनट पहले मेरे हाथ में बप्पा की एक छोटी-सी मूर्ति लाकर दे दी। उन्होंने कहा कि बप्पा को साथ रखना, सब ठीक हो जाएगा। उस वक्त मैं काफी नर्वस था, मगर वाकई बप्पा ने सारे विघ्न दूर किए। मराठी में बनी ये फिल्म बहुत हिट रही। उसके बाद हमने इसे हिंदी में बनाया। हिंदी में भी ये काफी पसंद की गई, तो मेरा मानना है कि बप्पा का आशीर्वाद है, जो उन्होंने मेरे प्रोडक्शन की तमाम बाधाओं को दूर कर मुझे फिल्म बनाने की हिम्मत दी।
गणपति बप्पा से जुड़ी एक दिलचस्प घटना बताना चाहूंगा। मैं जब मुंबई आया था पहली बार, तो मेरी जो बस थी, उसने इत्तफाक से मुझे मलाड इलाके के गणपति के इच्छापूर्ति मंदिर के पास ही उतारा था। उसी संजोग ने मेरी आस्था को मजबूत किया। उसके बाद से लेकर अब तक अकसर बहुत सारे लोग गणपति की प्रतिमा उपहार स्वरूप देते है। कभी मार्बल की, तो कभी वुडन की, कभी स्टोन की, तो कभी मेटल की। मैं भी आम तौर पर लोगों को बप्पा की प्रतिमा देता आया हूं। अभी मेरी नजरों के सामने ही गणपति की एक प्रतिमा है, जो मुझे मैसूर से उपहार स्वरूप मिली।'
'मैं कोई एक घटना तो नहीं बता सकता, मगर इतना जरूर कह सकता हूं कि जब भी कोई बप्पा की प्रतिमा देता है, तो एक सकारात्मक ऊर्जा जरूर मिलती है। आप अगर किसी परेशानी में हैं, तब भी आपको लगता है कि भगवान उसे दूर कर देंगे। ये तो आपकी आस्था की बात है। यही वजह है कि बीते कई सालों से हम बप्पा को अपने घर लाते हैं। इस साल हमारे घर पर सात दिन की गणपति है। पत्नी सभी के लिए पीले रंग के कुर्ते लाई हैं, जिन्हें हम सभी पूजा और विसर्जन के दिन पहनने वाले हैं। इस बार हम इसे उत्सव स्वरूप मना रहे हैं, तो बंगले की सफाई -पुताई हो गई है। लॉन का डेकोरेशन भी सेट हो गया है।
आज से दस साल पहले जब मैं मुंबई नई-नई आई थी। तब मैं यहां किसी को भी जानती न थी। काफी अकेलापन लगता था। मैं 3-4 महीने तक तो अपने पड़ोसियों से भी नहीं मिली थी। फिर आया गणेशोत्सव और मैंने देखा कि पड़ोस से मुझे गणपति दर्शन का आमंत्रण मिला। उस गणपति दर्शन के बाद मेरे मन की सारी उदासी दूर हो गई। बस उसी के बाद से मेरा गणपति से कनेक्शन मजबूत हुआ। मैं अपने घर भी गणपति लाती हूं और एक कमाल की बात ये है कि मेरे पहली गणपति राज (राजकुमार राव) ने मुझे अपने हाथों से बना कर दिए थे। ये कोरोना महामारी से पहले की बात है और उसके बाद मुझे लगता है कि मेरे सारे विघ्न एक के बाद एक करके दूर होते चले गए। मुझे कई अच्छे रोल मिले। मैंने कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जो अब एक-एक करके बाहर आ रहा है। राज हर साल मुझे अपने हाथ की बनाई हुई गणपति देते हैं। इस साल वह लखनऊ में शूट कर रहे हैं, मगर एक दिन के लिए मुंबई आकर वह गणपति बना कर दे गए हैं। मैं गणेशोत्सव के लिए बहुत उत्साहित हूं।
मुझे दिनेश विजन ('स्त्री' के निर्माता) ने गणेश जी की एक मूर्ति भेंट दी थी, जो आज तक मेरे घर पर रखी हुई है। मैं अगर ये कहूं कि उसी के बाद फिल्म 'स्त्री' के साम्राज्य को रचने का सिलसिला शुरू हुआ, तो गलत न होगा। मैं भी कई लोगों को गणपति की प्रतिमा भेंट स्वरूप दे चुका हूं। मैं गणपति बप्पा में बहुत आस्था रखता हूं और हर साल अपनी फिल्म रिलीज के पहले अपने प्रोड्यूसर के साथ सिद्धिविनायक मंदिर दर्शन करने जरूर जाता हूं। मुझे गणेशोत्सव बहुत ही पॉजिटिव एनर्जी वाला फेस्टिवल लगता है। जब भी मौका मिलता है, मैं पांडालों में जरूर जाता हूं। मैं जब मुंबई नया-नया आया था, तब गणेशोत्सव में नाचने में खूब मजा आता था। मैं तो सड़कों पर नाचा हूं, पांडालों में झूमा हूं। इस त्यौहार की ऊर्जा ही कुछ और होती है।