केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात भारी बारिश के बाद हुए लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या 341 पहुंच गई है। इन सभी शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इनमें 146 शवों की पहचान हो चुकी है। 134 लोगों के शरीर के सिर्फ टुकड़े बरामद हुए हैं।
सेना ने 1 अगस्त को मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की जानकारी दी थी। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों को ढूंढने का काम चल रहा है। कई जगह जमीन के अंदर मलबे में 20 से 30 फीट तक शवों के दबे होने की आशंका है।
सेना ने ऐसे इलाकों को सैनेटाइज करने के लिए डीप सर्च रडार मंगाया है। यह रडार जमीन के अंदर 80 मीटर तक की गहराई में इंसानों के फंसे होने का पता लगाता है। सेना इस रडार का इस्तेमाल बर्फीले इलाकों, खासकर सियाचिन ग्लेशियर, पहाड़ी चोटियों और एवलांच के दौरान करती है।
सर्च ऑपरेश के पांचवे दिन के अपडेट्स...
वेस्टर्न घाट को ईको सेंसटिव एरिया घोषित करने के लिए सरकार ने ड्राफ्ट बनाया
केंद्र सरकार ने केरल के वायनाड में 13 गांवों समेत छह राज्यों में पश्चिमी घाट के 56,800 वर्ग किमी से ज्यादा क्षेत्र को इकोलॉजिकली सेंसिटिव एरिया (ESA) घोषित करने जा रहा है। इसके लिए एक ड्राफ्ट का नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें 60 दिनों के भीतर सुझाव और आपत्तियां मंगाए गए हैं।
ड्राफ्ट में केरल के 9,993.7 वर्ग किमी को ESA के तहत लाने का प्रस्ताव है। इसमें लैंडस्लाइड प्रभावित जिले की दो तालुका के 13 गांव शामिल हैं। हालांकि, इनमें आपदा प्रभावित मुंडक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला शामिल नहीं हैं।
5 साल पहले भी यहां लैंडस्लाइड से 17 मौतें हुई थीं
वायनाड के 4 गांव- मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा में लैंडस्लाइड की घटना हुई है। 5 साल पहले 2019 में भी भारी बारिश की वजह से इन्हीं गांवों में लैंडस्लाइड हुई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी। 5 लोगों का आज तक पता नहीं चला। 52 घर तबाह हुए थे।
वायनाड में लैंडस्लाइड की क्या वजह है
वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं। यानी लैंडस्लाइड की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है।
वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है। मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून सीजन में बहुत ज्यादा बारिश होती है। वायनाड में काबिनी नदी है। इसकी सहायक नदी मनंतावडी 'थोंडारमुडी' चोटी से निकलती है। लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है।