धार की भोजशाला मंदिर है या मस्जिद? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए 98 दिन वैज्ञानिक सर्वे किया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील हिमांशु जोशी ने सोमवार को रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी। ये रिपोर्ट मीडिया से शेयर नहीं करने के निर्देश सभी पक्षों को दिए गए हैं। वकील हिमांशु जोशी का कहना है कि रिपोर्ट 2 हजार पेज की है। इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकते।
पता चला है कि यह रिपोर्ट 2000 से ज्यादा पन्नों में है। सर्वे और खुदाई के दौरान मिले 1700 से ज्यादा प्रमाण/अवशेष इस रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। इस पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।
हिंदू पक्ष का दावा- कई प्राचीन मूर्तियां मिलीं
हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया कि जो सर्वे हमारे सामने हुआ था, उस आधार पर हम कह रहे हैं कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। एएसआई को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह ये परमारकालीन इमारत है।
सर्वे के दौरान सामने आए अवशेषों से लगभग तय माना जा रहा है कि यह परमारकालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। इस बीच, एक गर्भगृह के पास 27 फीट लंबी दीवार भी मिली, जो ईंटों से बनी है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण और भी प्राचीन समय में होता था। मोहन जोदड़ो सभ्यता के समय, यानी यह स्थान और भी प्राचीन हो सकता है।
मुस्लिम पक्ष बोला- फैसला सुप्रीम कोर्ट स्तर पर ही होगा
धार के शहर काजी वकार सादिक ने कहा कि हाईकोर्ट रिपोर्ट पेश होने की जानकारी मिली है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि ASI की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है। 22 जुलाई को सुनवाई है, लेकिन फैसला सुप्रीम कोर्ट स्तर से ही करना है।
उन्होंने कहा कि सुनने में आया है कि रिपोर्ट पक्षकारों को दी जा रही है। रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे, ऐसे में पक्षकारों को रिपोर्ट की जानकारी दिया जाना था या नहीं, इस तथ्य पर भी जानकारी ले रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी पक्ष रिपोर्ट की जानकारी सार्वजनिक नहीं करेगा, ताकि अमन कायम रहे।
वैज्ञानिक सर्वे में यह 7 प्रमुख तथ्य सामने आए थे
1. गर्भगृह का पिछला हिस्सा : यहां अंदर 27 फीट तक खुदाई की गई है, जहां दीवार का ढांचा मिला है।
2. सीढ़ियों के नीचे का बंद कमरा : यहां से वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी समेत अन्य देवी प्रतिमा, शंख, चक्र सहित 79 अवशेष मिले हैं।
3. उत्तर-पूर्वी कोना व दरगाह का पश्चिमी हिस्सा : यहां से श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है।
4. उत्तर-दक्षिणी कोना : स्तंभ, तलवार, दीवारों के 150 नक्काशी वाले अवशेष मिले हैं।
5. यज्ञशाला के पास : सनातनी आकृतियों वाले पत्थर मिले हैं।
6. दरगाह : अंडरग्राउंड अक्कल कुइया चिह्नित हुई।
7. स्तंभों पर : केमिकल ट्रीटमेंट के बाद सीता-राम, ओम नम: शिवाय की आकृतियां चिह्नित हुई हैं।
मंगलवार को पूजा, शुक्रवार को होती है नमाज
भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति है। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। दोनों को नि:शुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1 रुपए का टिकट लगता है। हिंदू पक्ष भोजशाला को वाग्देवी सरस्वती का मंदिर मानता है। मुस्लिम इसे कलाम मौला मस्जिद मानता है।
हाईकोर्ट ने 11 मार्च को दिए थे सर्वे के आदेश
धार में भोजशाला ASI द्वारा संरक्षित इमारत है। 2022 में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नाम से पिटीशन हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस प्लस भोजसेवा संस्थान धार ने दायर की थी। इसमें भोजशाला को मंदिर बताते हुए इसका साइंटिफिक सर्वे GPR और GPS तकनीक से कराने की मांग की गई थी। आधिपत्य सौंपने की भी मांग थी।
इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2024 को इसे स्वीकारते हुए सर्वे के आदेश दिए थे। 15 जुलाई को एएसआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।
जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भोजशाला बताया
जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी। यह यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में देखे जा सकते हैं। यह भोजशाला के कैंपस में स्थित है जबकि देवी की प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है।
साल 2006, 2012 और 2016 में शुक्रवार को वसंत पंचमी आई तो विवाद की स्थिति बनी। वसंत पंचमी पर हिंदू पक्ष को पूजा जबकि शुक्रवार होने से मुस्लिमों को नमाज की अनुमति भी है। ऐसे में वसंत पंचमी शुक्रवार को आने पर समझाइश के बीच पूजा और नमाज दोनों करवाए जाते हैं। अगली बार ऐसी स्थिति 2026 में बन सकती है।