मणिपुर से निकाले जा रहे म्यांमार के चिन-कुकी लोग मिजोरम में अवैध रूप से घुस रहे हैं। बीते एक हफ्ते में ऐसे करीब 5 हजार घुसपैठिए जंगल के रास्ते मिजोरम में आ चुके हैं। इन्होंने चम्फाई जिले के खुआगंफाह और वाइखाव्लांग जैसे सीमाई गांवों में अपने ठिकाने बनाए हैं।
चम्फाई के उपायुक्त जेम्स ललिन्छाना ने बताया कि ये म्यांमारी 17 मई से घुसपैठ कर रहे हैं। चम्फाई में इनकी संख्या 16 हजार से ज्यादा हो चुकी है। 7 से 8 गांवों में इनके अवैध कब्जे हैं। ज्यादातर घुसपैठियों ने भारत-म्यांमार इंटरनेशनल बॉर्डर के पास खुआंगफा और वैखावत्लांग इलाके में अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है।
उन्होंने आगे कहा कि ये लोग खुद को म्यांमार में चल रहे सैन्य संघर्ष के पीड़ित बताते हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर वे हैं, जिन्हें मणिपुर सरकार ने हाल ही में बाहर निकाला है।
अधिकारियों का मानना है कि उनके देश (म्यांमार) में उनकी जान को खतरा था। इसलिए ये लोग यहां आए हैं। हम उनकी गतिविधि से अवगत हैं। हमारा मानना है कि वहां स्थिति सामान्य होने पर वे वापस अपने घर चले जाएंगे।
बॉर्डर पर सख्ती, असम राइफल्स की अतिरिक्त तैनाती
बता दें कि मिजोरम से सटा म्यांमार बॉर्डर खुला हुआ है। मिजोरम के छह जिले, चम्फाई, सियाहा, लॉन्ग्टलाई, हनाहथियाल, सेरछिप और सैतुअल म्यांमार के साथ बॉर्डर शेयर करते हैं। यहां 11 जिलों में बीते 3 साल में 35 हजार से ज्यादा म्यांमारी अवैध रूप से रह रहे हैं।
आईजोल स्थित सचिवालय सूत्रों ने बताया कि घुसपैठियों में करीब 1300 बांग्लादेशी भी हैं, जिन्होंने लांग्त्लाई जिले में शरण ली है।
म्यांमार के घुसपैठियों की हरकतों के चलते बॉर्डर पर असम राइफल्स की अतिरिक्त तैनाती की गई है। उनके मोबाइल व्हीकल चेकपोस्ट भी बढ़ा दिए हैं। दोनों देशों को बांटने वाली तियाऊ नदी पर भी अतिरिक्त बल तैनात है, लेकिन म्यांमारियों ने जंगल के रास्ते घुसपैठ करनी शुरू की है।
फरवरी में म्यांमार भेजे गए थे 1100 लोग
मणिपुर हिंसा के वक्त सैकड़ों चिन-कुकी मिजोरम आ गए थे। बॉर्डर खुले होने के कारण मिजोरम-म्यांमार के परिवारों में रिश्तेदारी है। इसलिए वे बेरोकटोक आ जाते हैं। फरवरी में ऐसे ही करीब 1100 चिन-कुकी लोगों को सुरक्षा बलों ने हेलिकॉप्टर से म्यांमार वापस भेजा था।