2022 में एक नहीं, बल्कि 25-25 कॉपियों के 2 बंडल बदले गए थे। यही नहीं कॉपियों के कोडिंग में भी हेराफेरी की गई थी। यह खुलासा एक अभ्यर्थी के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद हुई जांच में हुआ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने 5 अधिकारियों को दोषी करार देते हुए 3 को सस्पेंड कर दिया है।
पर्यवेक्षणीय अधिकारी उपसचिव सतीश चंद्र मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है, जबकि एक रिटायर्ड महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई को शासन से परमिशन मांगी गई है।
3019 अभ्यर्थियों ने मेंस परीक्षा दी थी। इसमें एक अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि कॉपी पर उनकी हैंडराइटिंग नहीं है। इस आरोप के बाद हाईकोर्ट ने आयोग से जवाब-तलब किया था। जांच में पता चला कि एक कॉपी नहीं, 25-25 कॉपियों के 2 बंडल बदले गए हैं।
इसके बाद आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत के निर्देश पर प्रदेश अनुभाग अधिकारी शिवशंकर, समीक्षा अधिकारी नीलम शुक्ला और सहायक समीक्षा अधिकारी भगवती देवी को निलंबित कर दिया गया है।
यूपीपीएससी के सचिव अशोक कुमार ने कहा- मानवीय भूल के कारण कॉपियों के बंडल में गलत कोडिंग हो गई थी। आयोग ने इस पर सख्त कदम उठाया है और दोषी अफसरों पर कार्रवाई की है। भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
अंग्रेजी विषय की थी बदली गई सभी कॉपियां
आयोग के अनुसार गलत कोडिंग के कारण बदली गई सभी कॉपियां अंग्रेजी विषय की थीं। अंग्रेजी का प्रश्नपत्र 100 अंकों का था। इसके बदले जाने से एग्जाम का रिजल्ट भी प्रभावित हो सकता है। फिलहाल, अभी इसकी जांच चल रही है। पीसीएस-जे परीक्षा- 2022 के तहत 302 पदों पर अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया गया था, जिन्हें नियुक्ति भी मिल चुकी है। परिणाम प्रभावित होता है तो आयोग को कुछ नए अभ्यर्थियों के इंटरव्यू अलग से कराने पड़ सकते हैं।
अब जानिए, क्या था मामला
UPPCS-J 2022 की मेंस परीक्षा में असफल अभ्यर्थी श्रवण कुमार ने अपनी कापी देखने के लिए आरटीआई लगाई थी। अपनी कॉपी देखने के बाद अभ्यर्थी श्रवण कुमार ने आरोप लगाया था कि उसकी अंग्रेजी विषय की कॉपी में हैंडराइटिंग बदली गई है। इसके साथ ही एक अन्य उत्तर पुस्तिका के कुछ पन्ने फाड़े गए हैं। इसकी वजह से अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाया था।
फिर अभ्यर्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। आयोग ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया और बताया कि मुख्य परीक्षा में शामिल सभी 3019 अभ्यर्थियों की 18042 कॉपियों की जांच कराई जा रही है।
रेंडम जांच भी होती तो नहीं बदलती कॉपियां
अगर पर्यवेक्षणीय अधिकारी हर बंडल से सिर्फ एक-एक कॉपी की रेंडम जांच कर लेते तो पता चल जाता कि कोडिंग गलत हो गई है। लेकिन, कोडिंग के बाद किसी भी स्तर पर इसकी जांच नहीं की गई और कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेज दी गई। इसी का नतीजा है कि अभ्यर्थियों की कॉपियां आपस में बदल गई।
याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को
श्रवण पांडेय की याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले को गंभीर माना और लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
पीसीएस-2015 में भी बदली थी कॉपी, पर दबा दिया गया मामला
पीसीएस-2015 में महिला अभ्यर्थी सुहासिनी बाजपेयी की कॉपी भी बदल गई थी। सूचना के अधिकार के तहत कॉपी देखने पर इसका खुलासा हुआ था। बाद में उसे इंटरव्यू के लिए मेंस एग्जाम में पास कर दिया गया। हालांकि, इंटरव्यू में वह असफल हो गई और चयन नहीं हो सका था।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि उस वक्त भी गलत कोडिंग कारण ही ऐसा हुआ था। तब भी एक बंडल में रखी कई कापियों बदली होंगी लेकिन मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अगर तभी सख्त कदम उठाया गया होता तो गलती दोहराने की आशंका घट जाती। हालांकि, बाद में CBI ने जांच के दौरान पीसीएस-2015 में कई गड़बड़ियों सामने आने पर मुकदमा भी दर्ज किया था