इंदौर: बाल निकेतन संघ ने रविन्द्र नाट्य गृह में अपने 74वें वार्षिक समारोह का भव्य आयोजन किया। इस समारोह ने कला, संस्कृति और सृजनात्मकता का अद्भुत प्रदर्शन किया। नन्हें नन्हें बच्चों की प्रतिभा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और कार्यक्रम की हर प्रस्तुति ने सांस्कृतिक विविधता और उत्कृष्टता का परिचय दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसने वातावरण को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। इसके बाद नृत्य नाटिका "आदि शंकराचार्य जीवन गाथा" ने दर्शकों को भारतीय परंपरा और दर्शन की झलक दिखाई।
अन्य मुख्य आकर्षणों में "गोइंग टू द फॉरेस्ट" नृत्य रहा जहां छोटे छोटे बच्चों ने जानवरों का रूप धारण कर नृत्य किया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा चेयर डांस, रूसी नृत्य और मार्शल आर्ट्स के प्रदर्शन ने भी खूब वाहवाही बटोरी। बनेठी प्रदर्शन ने राजस्थानी लोकसंस्कृति की रंगीन छटा बिखेरी।
विद्यार्थियों ने अभिनय कला में भी अपनी दक्षता साबित की। अंग्रेजी नाटक "द यूनिवर्स" और हिंदी नाटक "अकबर और तुलसीदास" ने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया। वहीं, कवि सम्मेलन में प्रस्तुत कविताओं ने भावनात्मक और साहित्यिक रंग बिखेरा। बाद में विद्यार्थियों ने नृत्य नाटिका "आदि शंकराचार्य जीवन गाथा" के माध्यम से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
बाल निकेतन संघ की सचिव डॉ. श्रीमती नीलिमा अदमने ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा, "संस्था का 74 वर्षों का सफर प्रेरणादायक है। हम बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सदैव प्रयासरत हैं। बाल निकेतन संघ ने अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए इस वर्ष कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हमारा उद्देश्य केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि बच्चों को सशक्त और संवेदनशील नागरिक बनाना है। इस संस्था के लगातार कार्य करते रहने एवं संचालित होने में कई सारे लोगों का योगदान है जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से हमारे साथ जुड़े हुए हैं।"
मुख्य अतिथि, मुंबई से आई समाजसेविका एवं सफल उद्यमी श्रीमती उज्जवला हावरे मैडम ने विद्यार्थियों की प्रशंसा करते हुए कहा, "ऐसे आयोजनों से न केवल बच्चों की प्रतिभा को मंच मिलता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व का विकास भी होता है। बाल निकेतन संघ के प्रयास सराहनीय हैं। हम पिछले कई वर्षों से अपने क्षेत्र में समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं लेकिन हमें यूं लगता है कि अगर हम शालिनी ताई के किए हुए कार्यों का आधा भी कर पाए तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। मुझे बहुत खुशी है कि मुझे यहां बुलाया गया मैं यहां आकर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मैं सबसे ज्यादा शुभकामनाएं इन बच्चों के अभिभावकों को देना चाहती हूं जो ऐसे विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रहे हैं और एक बेहतरीन उज्जवल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।"
सभी प्रस्तुतियों के बाद विद्यालय के प्राचार्य श्री संदीप धाकड़ ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। दर्शकों ने इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की और बच्चों के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं। अभिभावकों ने भी बाल निकेतन संघ की कार्यप्रणाली और बच्चों के विकास में योगदान को सराहा।