मध्यप्रदेश में अब किसी ने पेपर लीक किया तो उसे आजीवन कारावास और 1 करोड़ रु. तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। कोई नकल करता पकड़ा जाएगा तो वह जेल नहीं जाएगा, लेकिन अगले एक साल तक परीक्षा नहीं दे सकेगा। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार पेपर लीक और परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए कड़ा कानून लाने जा रही है।
इसके लिए 1937 में बने परीक्षा कानून में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। संशोधित कानून का ड्राफ्ट स्कूल शिक्षा विभाग ने तैयार कर लिया है। यह ड्राफ्ट परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेजा गया है। इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार की कोशिश है कि इस कानून को शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में पारित कराकर लागू किया जाए।
दरअसल, इसी साल जून में नीट पेपर लीक का मुद्दा गर्माया था। इसके बाद ही राज्य सरकार ने कानून में संशोधन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को ड्राफ्ट बनाने के लिए कहा था। विभाग ने बाकी राज्यों में लागू कानून का अध्ययन कर ड्राफ्ट को वरिष्ठ सचिव समिति के सामने रखा था।
इसी बीच केंद्र सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 के नियम जारी कर राज्यों को भेज दिए। इसके बाद इस कानून को समग्रता से तैयार करने निर्देश दिए गए। नए कानून के ड्राफ्ट में नकल रोकने के लिए किस तरह के प्रावधान किए गए हैं, इसके दायरे में कौन-कौन आएगा?
नए कानून की जरूरत क्यों? मप्र का जो मौजूदा कानून है, उसमें जुर्माने और सजा का प्रावधान मामूली है। हालांकि पिछले साल 10वीं और 12वीं परीक्षा के दौरान कथित पेपर लीक की घटनाएं सामने आने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल की कार्यपालिका समिति ने 10 साल की सजा और दस लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया था।
शिक्षाविद् प्रोफेसर भागीरथ कुमरावत कहते हैं कि इसी साल नीट परीक्षाओं के पेपर लीक होने के बाद केंद्र सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 लागू किया। ये कानून केंद्र सरकार की परीक्षाओं पर लागू है। हर राज्य अलग-अलग परीक्षाओं का आयोजन करता है। केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है उसके नियम राज्यों को भेजे गए हैं, ताकि वे अपने हिसाब से कानून बना सकें।
अब जानिए नए कानून के प्रावधान मप्र सरकार के प्रस्तावित नए कानून के दायरे में परीक्षाओं से जुड़े सभी व्यक्ति, अधिकारी-कर्मचारी, संस्थाएं रहेंगी। परीक्षा केंद्र, सर्विस प्रोवाइडर कंपनी या कोई व्यक्ति जो पेपर लीक या किसी गड़बड़ी में शामिल पाया जाता है तो उसकी सीधे जवाबदारी तय होगी। इसमें एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना और आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। आरोपी की प्रॉपर्टी भी अटैच या जब्त करने का प्रावधान है।
परीक्षा केंद्र प्रभारी और स्टाफ पर मोबाइल की पांबदी
प्रस्तावित कानून के तहत परीक्षा केंद्रों के प्रभारी और स्टाफ पर मोबाइल ले जाने की पाबंदी रहेगी।
अगर कोई केंद्र अध्यक्ष, सहायक केंद्र अध्यक्ष या पर्यवेक्षक मोबाइल का इस्तेमाल करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
परीक्षा केंद्रों के को-ऑर्डिनेटर, प्रभारी और क्षेत्रीय अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी इसमें प्रावधान किए गए हैं।
किसी भी जिम्मेदार के जानबूझकर लापरवाही करने से पेपर लीक होता है या लीक होने की आशंका से परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर भी कानूनी कार्रवाई होगी।
ब्लैक लिस्ट हो सकती है सर्विस प्रोवाइड कंपनी
सर्विस प्रोवाइड यानी वह एजेंसी या कंपनी जो परीक्षा के लिए कम्प्यूटर से लेकर अन्य संसाधन या सिस्टम उपलब्ध कराए।
सर्विस प्रोवाइड यदि गड़बड़ी को तुरंत पुलिस या परीक्षा कराने वाली एजेंसी को नहीं बताता, तो वो भी दोषी होगा।
सर्विस प्रोवाइडर परीक्षा केंद्र को स्वेच्छा से नहीं बदल सकेंगे।
सर्विस प्रोवाइडर गड़बड़ी में शामिल पाए गए तो ब्लैक लिस्ट किए जाएंगे।
यह साबित हो जाए कि परीक्षा में गड़बड़ी के लिए सर्विस प्रोवाइडर से जुड़ा व्यक्ति या पदाधिकारी जिम्मेदार है तो उसके खिलाफ भी एक्शन होगा।
पेपर लीक करने वाले गिरोह से वसूली जाएगी लागत
यदि परीक्षा प्रभावित होती है या दोबारा आयोजित करने की स्थिति बनती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को पेपर लीक करने वाले गिरोह से वसूल किया जाएगा और उनकी संपत्ति कुर्क की जा सकेगी।
किसी की जगह बैठकर परीक्षा देने वाले सॉल्वर भी इसके दायरे में लाए जा रहे हैं। इसमें कॉपी, अवॉर्ड शीट, नंबर रजिस्टर, मार्क शीट में गड़बड़ी भी शामिल है।
स्टूडेंट की बजाय संगठित गिरोह दोषी माना जाएगा
परीक्षार्थी यदि नकल करता पाया जाता है या अनुचित साधनों का इस्तेमाल करता है तो उसे जेल नहीं होगी, लेकिन उसे निकाल दिया जाएगा।
वह एक साल तक परीक्षा नहीं दे सकेगा, हालांकि उसके प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक नहीं रहेगी।
परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी के लिए स्टूडेंट से अधिक संगठित अपराध, माफिया और इसमें शामिल लोगों को अधिक दोषी माना जाएगा।
प्रिंटिंग प्रेस को लेकर होंगे ये नियम
पेपर सेट करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा।
पेपर लाने ले जाने के लिए बक्सों में छेड़छाड़ रोधी मल्टी लेवल पैकेजिंग होगी।
पेपर छापने वाली एजेंसी का एग्जाम कंट्रोलर द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण किया जाएगा।
प्रिटिंग प्रेस में आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। सभी के पास पहचान पत्र होना अनिवार्य होगा।
पेपर की छपाई के दौरान स्मार्टफोन और कैमरा ले जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
प्रेस के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और इसकी रिकॉर्डिंग 1 साल तक सुरक्षित रखी जाएगी।
डीएसपी या सहायक पुलिस आयुक्त करेंगे जांच
नए कानून में प्रावधान है कि प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ी कोई भी गड़बड़ी मिलने पर उसकी जांच डीएसपी या सहायक पुलिस आयुक्त करेंगे।
केंद्र सरकार ये जांच केंद्रीय एजेंसी करा सकती हैl इस परीक्षा में प्रतिभागी की जगह अन्य कोई शामिल होता है तो इसे अनैतिक माना जाएगा।
इस कानून के तहत एग्जाम सेंटर के लिए सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों को प्राथमिकता दी जाएगी। परीक्षा प्रश्न-पत्र में एक गुप्त कोड होगा।
केंद्र सरकार ने 4 महीने पहले लागू किया नया कानून
केंद्र सरकार ने पेपर लीक रोकने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 लागू किया है। यह कानून जून 2024 को लागू हुआ था। इस कानून के तहत पेपर लीक करने या परीक्षा में गड़बड़ी करने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है।