नई दिल्ली । पंजाब की रहने वाली एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने अपना बदला हुआ नाम भारत के राजपत्रमें प्रकाशित कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि फोटो पहचान पत्र की अनुपलब्धता के कारण वह अपनी बचत और निवेश का उपयोग करने में असमर्थ है। जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने याचिकाकर्ता को अधिकारियों द्वारा पहले जारी एक हलफनामा और प्रमाण पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 12 अप्रैल की तारीख तय की है। पंजाब के होशियारपुर निवासी विधवा महिला प्रभा सूद ने वकील जय प्रकाश तहलानी के माध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया कि उन्होंने 2002 में अपना नाम बदल लिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता 80 साल की वृद्ध महिला है। उनका जन्म 1941 में हुआ था और उन्होंने 1963 में राम प्रकाश सूद से शादी की थी। उनके पति की मृत्यु 2009 में हो गई थी। उनके पास कोई फोटो पहचान प्रमाण नहीं है और बैंक अधिकारी बैंक खाते के लिए इसकी मांग कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 1999 में अपने पूर्व नाम शशि सूद से बैंक में खाता खोला था और इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश किया। याचिका में कहा गया है कि वह बैंक खाते और निवेश 2000 से पहले उसके द्वारा किए गए थे। उस समय केवाईसी आधारित दस्तावेजों जैसे वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड आदि की अनिवार्य रूप से आवश्यकता नहीं थी और इस प्रकार ऐसे दस्तावेजों के बिना ही उन निवेश और बैंक खातों को खोला गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे 2012 में होशियारपुर के उपायुक्त द्वारा कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी किया गया था। उसने एक निर्धारित प्रारूप में प्रकाशन विभाग, दिल्ली के साथ पंजीकृत एक आवेदन जमा किया था, जिसमें सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न किए गए थे ताकि यह प्रकाशित किया जा सके कि उसने अपना नाम शशि प्रभा सूद और शशि सूद से बदलकर प्रभा सूद कर लिया है। याचिका में कहा गया है कि विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाकर उसके बदले हुए नाम को भारत के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित करने से इनकार कर दिया था।