नीमच: पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, इसका उदाहरण नीमच में देखने को मिला। यहां महिलाएं घूंघट की आड़ में उम्र के उस पड़ाव में अक्षर ज्ञान सीख रही हैं, जिसमें महिलाएं अक्सर आराम करना पसंद करती हैं। यही नहीं, महिलाओं ने घर के आंगन, खेत तथा खलिहानों में नवसाक्षर बनने की परीक्षा दी।
महिलाओं ने बढ़-चढकर लिया हिस्सा
उम्र के आखिरी पड़ाव पर साक्षर बनने की ललक लिए 19,272 महिलाओं ने और 7137 पुरुषों ने स्कूल ही नहीं खेत, खलिहान व घर के आंगन में नव साक्षर की परीक्षा दी। जिलेभर में 1 लाख 13 हजार 359 महिला-पुरुष असाक्षर हैं। इनमें से 22 सितंबर को कुल 26 हजार 409 महिला-पुरुषों ने नवसाक्षर बनने की परीक्षा दी। इसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
जिलेभर से 19 हजार 272 महिलाएं तथा 7 हजार 137 पुरुषों ने यह परीक्षा दी। यह आंकड़ा लक्ष्य से 3 हजार ज्यादा है, क्योंकि वर्ष 2024-25 के पहले सत्र में 23 हजार 150 महिला-पुरुष को परीक्षा में सम्मिलित करने का लक्ष्य था, लेकिन लक्ष्य से 3 हजार 359 महिला-पुरुष ज्यादा परीक्षा में शामिल हुए।
क्या है इस परीक्षा का उद्देश्य
उल्लास- नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य असाक्षर महिला-पुरूषों को अक्षर साथी बनाना तथा छात्र-छात्राओं के माध्यम से 'इच वन, टीच वन' की कार्यप्रणाली से अक्षर व संख्या का ज्ञान करवाना है। इसके लिए मूलभूत साक्षरता तथा संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन एक साल में दो बार किया जाता है। हर 6 माह में परीक्षा का आयोजन होता है। 2024 में पहली परीक्षा 22 सितंबर को आयोजित हुई।
जिले के सभी शासकीय व अशासकीय स्कूलों में साक्षरता कार्यक्रम के तहत घर-घर सर्वे कर एनआईएलपी एमपी एप पर असाक्षरों का पंजीयन कार्य करवाना होता है। परीक्षा से पहले 'सभी के लिए शिक्षा' आवश्यक है, इस तरह का वातावरण बनाया जाता है। इसके बाद जिलेभर से हर वर्ग के 15 साल से अधिक उम्र के असाक्षरों की परीक्षा होती है।
घूंघट की ओट में हल किए सवाल
नव साक्षर परीक्षा देने वालों में महिलाओं की खासी संख्या रही। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं अपने घर के बुजुर्गों के साथ परीक्षाएं देने पहुंची। अधिकांश महिलाओं ने घूंघट की ओट में सवाल हल किए। इसके अलावा परीक्षा को खेत, खलिहान के अलावा घर-आंगन व स्कूल में दिया गया।
815 केंद्र पर परीक्षा हुई
जिलेभर में कुल 815 परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए। इन परीक्षा केंद्रों में खेत व खलिहान भी शामिल हैं। इसकी वजह थी कि कृषि कार्य में व्यस्त महिलाएं व पुरुष भी परीक्षा दे पाएं। परीक्षा में समय सीमा सुबह 10 से शाम 5 बजे निर्धारित की गई, ताकि महिला-पुरुष उनकी सहूलियत के अनुसार परीक्षा दे पाएं।