कन्नौज से सांसद का चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने अपनी विधानसभा करहल को छोड़ने का निर्णय लिया है। इसकी घोषणा उन्होंने सांसदों से मीटिंग के बाद शनिवार को लखनऊ में की। यानी, अब अखिलेश दिल्ली की राजनीति करेंगे।
अखिलेश ने 2022 में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जीत के बाद आजमगढ़ के सांसद पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आजमगढ़ में उपचुनाव हुए, उसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी।
अखिलेश ने सपा के सभी जीते हुए सांसदों को शनिवार को लखनऊ बुलाया। इसमें अखिलेश समेत 37 सांसद शामिल हुए। मीटिंग में मंथन के बाद उन्होंने विधानसभा सीट छोड़ने का ऐलान किया।
अखिलेश बोले- देश में नकारात्मक राजनीति खत्म हो गई
अखिलेश ने कहा- PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की रणनीति की जीत होने से देश में नकारात्मक राजनीति खत्म हो गई। अब समाजवादियों की जिम्मेदारी बढ़ गई। जनता की एक-एक बात सुनें, उनके मुद्दों को उठाएं, क्योंकि जनता के मुद्दों की जीत हुई है।
उन्होंने कहा- हमारे सांसदों ने चुनाव में लगातार मेहनत की, जनता के बीच रहे। यही वजह रही कि सपा ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। सरकार और प्रशासन पर तंज करते हुए अखिलेश ने कहा- हमारे एक सांसद वह हैं, जिन्हें जीत का सर्टिफिकेट मिला। दूसरे वे हैं, जिन्हें भाजपा की धांधली की वजह से सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया। हम दोनों सांसदों को बधाई देते हैं। उम्मीद का दौर शुरू हो चुका है। जनता के मुद्दों की जीत हुई है।
विधानसभा के बाद लोकसभा में भी अखिलेश के उतरने का मिला फायदा
अखिलेश यादव ने 2022 विधानसभा चुनाव लड़ा था। उसमें पार्टी को 11 सीटें मिलीं। 2017 में पार्टी के पास 47 सीटें थीं। अखिलेश का पहले लोकसभा चुनाव लड़ने का प्लान नहीं था। उन्होंने चचेरे भाई तेज प्रताप को टिकट दे दिया था। लेकिन, ऐन वक्त में उन्होंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया और कन्नौज से नामांकन भरा। अखिलेश के लोकसभा चुनाव लड़ने का फायदा भी पार्टी को मिला। 2019 में 5 सीटें जीतने वाली सपा 37 सीटों पर पहुंच गई।
डिंपल बोलीं- अयोध्या में जनता ने अपने हिसाब से सांसद चुना
सांसद डिंपल यादव ने कहा- मैं सभी समाजवादी पार्टी के सांसदों को बधाई देना चाहूंगी। लोकतंत्र में लोग अगर खुश नहीं होते हैं, तो अपना प्रतिनिधि अपने हिसाब से चुनते हैं। अयोध्या में भी यही हुआ है। वहां बेरोजगारी चरम सीमा पर है, महिला की सुरक्षा का बड़ा सवाल है।
देश के सबसे युवा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने कहा- मुद्दों पर जनता ने वोट किया
कौशांबी से चुने गए देश के सबसे युवा सांसद पुष्पेंद्र सरोज भी मीटिंग में शामिल हुए। उन्होंने कहा- इंडी गठबंधन को जनता ने मुद्दों के आधार पर वोट दिया। उन्हीं मुद्दों को हम लोग संसद तक उठाएंगे। कौशांबी की जनता ने अपने क्षेत्र से सबसे युवा सांसद चुनकर भेजा है। यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
उन्होंने कहा- अखिलेश ने सभी सांसदों से कहा है, इस बार बहुत मजबूती के साथ यूपी की जनता के मान-सम्मान की लड़ाई संसद में लड़नी है। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जहां से सबसे ज्यादा सांसद चुनकर जा रहे हैं, वहां की जनता की बात संसद में रखें।
साल 2000 में अखिलेश ने पहली बार लड़ा था चुनाव
अखिलेश ने कन्नौज सीट से ही राजनीति शुरू की थी। पहली बार साल 2000 में चुनाव लड़ा था और यहां से जीत हासिल की थी। वह लगातार 3 बार कन्नौज से सांसद चुने गए। 2012 में उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज सीट से इस्तीफा दिया था। फिर पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ाया था। इसमें वह निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं।
2014 में भी डिंपल यादव कन्नौज सीट से सांसद चुनी गई थीं। साल 2019 में भाजपा के सुब्रत पाठक ने उन्हें चुनाव हरा दिया था। इसके बाद से समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में आपसी फूट पड़ने लग गई थी, जिससे कन्नौज में सपा पूरी तरह बिखर गई थी। यही वजह रही कि 2019 में डिंपल चुनाव हार गई थीं।