सिंहस्थ 2028, स्वच्छ भारत मिशन और अमृत 2 सहित कई प्रोजेक्ट में पिछड़ रहे नगरीय विकास एवं आवास को अब अनुभवी विशेषज्ञों का सहारा मिलेगा। साल 2019 में सेवानिवृत्त हुए ईएनसी प्रभाकांत कटारे और केंद्र में जल संसाधन मंत्रालय में अफसर रहे डॉ. उदय रोमन विभाग में जुड़े हैं। कटारे सिंहस्थ 2016 के दौरान विभाग में मौजूद थे, जबकि डॉ. रोमन के पास जल संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का लगभग चार दशकों का अनुभव है।
दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के नियुक्ति आदेश हाल ही में जारी हुए हैं। कटारे विभाग के उपक्रम एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी के सलाहकार बनकर लौटे हैं, जबकि डॉ. रोमन की नियुक्ति निजी कंसल्टेंसी से अमृत 2.0 में टीम लीडर के तौर पर हुई है। हालांकि, दोनों विशेषज्ञ पालिका भवन स्थित विभागीय संचालनालय में बैठेंगे। कटारे को आयुक्त संकेत भोंडवे के बराबर वाला खाली चैंबर आवंटित किया गया है। डॉ. रोमन भी इंजीनियरिंग सेक्शन में बैठेंगे।
हाल ही में डॉ. सुभाष रस्तोगी बने विजिटिंग कंसलटेंट
देश के जाने-माने अर्बन कंसलटेंट रहे डॉ. सुभाष रस्तोगी को भी विभाग ने सिंहस्थ के कामों के लिए विजिटिंग कंसलटेंट बनाया था। डॉ. रस्तोगी ने हाल ही में उज्जैन जाकर सिंहस्थ के शुरू हो चुके कामों को भी देखा था। सिंहस्थ की नोडल एजेंसी रहे नगरीय प्रशासन विभाग का अब तक सात में से एक प्रोजेक्ट ही शुरू हो सका है।
समीक्षा में स्वच्छता, अमृत 2 के कामों में मिली थी कमी हाल ही में आयुक्त द्वारा की गई समीक्षा में स्वच्छता अभियान, अमृत 2.0, कायाकल्प योजना आदि में लेटलतीफी मिली थी। कई जल प्रदाय योजनाओं की डिजाइन आदि भी लंबित मिली थी। भोपाल में अभी भी सीवेज नेटवर्क सिर्फ 23% क्षेत्रों में बन सका है।
तकनीकी अमला भी नहीं प्रमोशन में आरक्षण के बीच नगरीय विकास एवं आवास विभाग में वरिष्ठ तकनीकी पद प्रभार पर ही हैं। प्रमोशन नहीं होने से चीफ इंजीनियर से लेकर ईएनसी तक सभी पद प्रभार पर ही हैं। नीति रही है कि बाहर के कैडर से अधिकारी नहीं आएं, इसलिए वरिष्ठ पदों पर जूनियर अफसर ही काबिज हैं।
आयुक्त बोले-कामों में देरी, क्वालिटी भी खराब है हाल ही में आयुक्त बने संकेत भोंडवे ने कहा कि समीक्षा में सामने आया कि विभाग का मैदानी अमला प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग नहीं करता, न तो मार्केट सर्वे करते और न ही क्वालिटी पर ध्यान दिया जाता। कई प्रोजेक्ट कंसलटेंट सहित कई सीएमओ, एई आदि पर कार्रवाई की है, वेतन भी रोका है। मैं खुद लगातार फील्ड पर दौरे कर रहा हूं। विशेषज्ञों को जोड़ने पर कहा कि इससे अनुभवी सरकारी अधिकारी रहे विशेषज्ञों का थर्ड पार्टी निरीक्षण मिलता है। उनसे सलाह-सुझाव लेंगे। वर्तमान प्रोजेक्ट में उनसे पूछेंगे कि कहां कमी है, क्वालिटी कैसे सुधारें। तकनीकी अमले की कमी भी एक वजह है।