नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्रवाई शुरू होने पर दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान के बारे में सदन को जानकारी दी। जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू किया विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया।
बिरला ने उन्हें शांत रहने को कहा, लेकिन हंगामा जारी रहा। काफी प्रयासों के बाद भी जब हंगामा शांत नहीं हुआ तो ओम बिरला ने 12 बजे तक के लिए सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी। राज्यसभा की कार्रवाई भी हंगामे के कारण स्थगित करनी पड़ी।
12 बजे फिर शुरू हुई लोकसभा की कार्रवाई के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीन कृषि कानूनों की वापसी का बिल पेश किया, जो हंगामे के बीच पास हो गया। विपक्षी सदस्यों ने बिना चर्चा बिल पास करने पर भारी हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद दोनों सदनों की कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि सत्र के लिए सरकार तथा विपक्ष ने अपनी-अपनी रणनीति बना ली है। सरकार ने भले ही तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर विपक्ष को मुद्दों से निहत्था करने का ब्रह्मास्त्र चला दिया हो, लेकिन विपक्ष के तीखे तेवरों को देखते हुए उसके लिए संसद सत्र को सुचारू ढंग से चलाना आसान नहीं होगा। आज से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा और इस दौरान 20 बैठकें होंगी।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले संसद सत्र को राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों ही पक्ष इस मौके को अपनी अपनी तरह से भुनाने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे। कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष शीतकालीन सत्र नहीं हो सका था, लेकिन इस बारे में इसे कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए बुलाया गया है।
संसद सत्र के मद्देनजर पिछले कुछ दिनों से सत्ता और विपक्ष के गलियारों में राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं और जहां विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारियों में जुटा है वहीं सरकार विपक्ष के हमलों को नाकाम करने वाले सभी तीर अपने तरकश में जुटाने में लगी है।
विपक्षी दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसान, कृषि, एमएसपी को कानूनी रूप देने, महंगाई, पेट्रोल डीजल की कीमत, बेरोजगारी, पेगासस, कोरोना, त्रिपुरा हिंसा और बीएसएफ के क्षेत्राधिकार जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगें। विपक्ष ने जोर देकर कहा है कि वह सरकार से उपरोक्त मुद्दों सहित हर ज्वलंत विषय पर सवाल पूछेगा और उसकी विफलताओं को देश के सामने रखेगा।
भले ही विपक्ष लामबंद न दिखाई दे रहा हो, लेकिन विभिन्न राजनीतिक दल अपने अपने मुद्दों को लेकर कड़े तेवर अपना रहे हैं और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले वे अपनी अपनी बात को देश की सर्वोच्च संस्था में उठाने का मौका हाथ से नहीं जाने देंगे। सरकार भी विपक्ष के हमलों को नाकाम कर अधिक से अधिक विधायी कामकाज निपटाने की व्यापक रणनीति बनाने में जुटी है।
सरकार ने सुशासन और विकास के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 25 से भी अधिक विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने से संबंधित विधेयक के अलावा, क्रिप्टोकरंसी से संबंधित विधेयक, बिजली संशोधन विधेयक 2021, पेंशन सुधार संबंधी विधेयक,
दिवाला एवं शोधन अक्षमता दूसरा संशोधन विधेयक 2021, ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 और मध्यस्थता विधेयक 2021 आदि शामिल हैं। सरकार का कहना है कि वह लोकसभा अध्यक्ष और सभापति द्वारा मंजूर हर मुद्दे पर नियमों के तहत चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष को सदन में हंगामे से बाज आना होगा।