महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल के अंदर 2 बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में मंगलवार (27 अगस्त) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में प्रोसीजर फॉलो न करने पर पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- पुलिस ने बच्ची और उसके परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जो असंवेदनशील और नियमों के खिलाफ है।
कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि स्कूल में चाइल्ड हेल्पलाइन थी या नहीं और स्कूल में काम करने वाले लोगों का बैकग्राउंड चेक किया गया या नहीं। इसके अलावा कोर्ट ने बच्चियों की क्लास टीचर को लेकर पूछा कि टीचर ने बच्चियों को एक पुरुष के साथ वॉशरूम भेजा। टीचर पर केस दर्ज क्यों नहीं हुआ?
इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने की। राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में पक्ष रखा। अब अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी।
22 अगस्त को कोर्ट ने पुलिस को जांच में देरी पर फटकार लगाई थी
कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे संज्ञान के बाद दूसरी बच्ची और उसके परिवार का बयान दर्ज किया गया। अब तक इसमें देर क्यों हुई।
कोर्ट ने कहा कि अगर स्कूल ही सेफ नहीं है तो शिक्षा के अधिकार और बाकी चीजों की बात करने का क्या मतलब। हाईकोर्ट ने मामले की जानकारी छिपाने के आरोप में स्कूल प्रशासन के खिलाफ पॉक्सो के तहत केस दर्ज करने को कहा है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सरकार से केस डायरी और FIR की कॉपी भी मांगी है। एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा।
कोर्ट ने कहा- स्कूल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं किया
21 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था। 22 अगस्त को कोर्ट ने मामले की सुनवाई की थी। इस दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा, क्या बच्चियों ने स्कूल प्रशासन से यौन शोषण की शिकायत की थी। सरकार ने कहा- हां। कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को भी आरोपी बनाने को लेकर भी सवाल किया।
सरकार ने कहा कि SIT का गठन किया गया है। अब केस दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बच्ची के पेरेंट ने जैसे ही FIR दर्ज कराई, आपको स्कूल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए था।
कोर्ट ने कहा कि हम यह जानकर हैरान हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी बच्ची के परिवार का बयान भी दर्ज नहीं किया था। हमने संज्ञान लिया तब पुलिस ने दूसरी बच्ची के पिता के बयान दर्ज किए, वह भी आधी रात के बाद। आप आधी रात के बाद बयान कैसे दर्ज कर सकते हैं? इतनी देरी क्यों?
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चियों ने खुद यौन शोषण की जानकारी दी है। इसके बारे में बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत है। कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस से कहा कि अगर आपने किसी भी तरह मामले को दबाने की कोशिश की, तो हम एक्शन लेने से नहीं हिचकिचाएंगे।
आरोपी को दादा बोलती थीं बच्चियां
पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी 1 अगस्त को ही स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। बच्ची उसे दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) पुकारती थी। बच्ची के मुताबिक ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी।
MVA के महाराष्ट्र बंद पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक
बदलापुर घटना को लेकर 21 अगस्त को महाविकास अघाड़ी (MVA) ने 24 अगस्त को बुलाया था, लेकिन इससे एक दिन पहले 23 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बंद बुलाए जाने पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति या फिर राजनीतिक पार्टी को बंद बुलाना गैरकानूनी है। इसके बाद MVA ने बंद का फैसला वापस लिया और 24 अगस्त को काली पट्टी बांध कर विरोध जताया।
बाल आयोग बोला- स्कूल प्रशासन ने केस दबाने की कोशिश की
महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने आरोप लगाया कि स्कूल ने बच्चियों के पैरेंट्स की मदद करने के बजाय अपराध को छुपाया। स्कूल समय पर संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज करवाता तो अराजक स्थिति से बचा जा सकता था। मामले को लेकर आयोग ने CM शिंदे को रिपोर्ट पेश की है।