नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब नौ लाख कर्मचारियों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में गुरुवार को दो दिन की हड़ताल शुरू की। आज हड़ताल का दूसरा दिन है। हड़ताल के पहले दिन देश भर में इन बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा। इन बैंकों के ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से जमा और निकासी, चेक क्लीयरेंस और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं के ठप होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बैंकों का कामकाज शुक्रवार को भी प्रभावित हो सकता है। यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने बुलाई है।
कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। ग्राहकों को हड़ताल की जानकारी देने के साथ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों की कई शाखाएं गुरुवार को बंद रहीं। कर्मचारी संघों ने बताया कि सरकारी बैंकों के अलावा पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कुछ कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक सभी वर्ग के अधिकारी दो दिन की इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं। गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। निजीकरण की सुविधा के लिए सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।