भोपाल। अपनी मांगों के समर्थन में राजधानी में बैंककर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल प्रारंभ हो गई है। बैंकों के निजीकरण की प्रस्तावित नीति से बैंककर्मी नाराज है और इसको लेकर विरोध कर रहे हैं। बीते एक हफ्ते में दो बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। अरेरा हिल्स क्षेत्र में हड़ताल से एक दिन पूर्व सांकेतिक विरोध दर्ज कराया गया। प्रदेश में यह विरोध प्रदर्शन यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स की तरफ से किया जाएगा। इस दोदिवसीय हड़ताल से बैंकों में कामकाज प्रभावित होना तय है। आम उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ सकता है।
करोड़ों रुपये का लेन-देन प्रभावित होगा। यूनाटेड फोरम से जुड़े वीके शर्मा और संजीव सबलोक ने दावा किया है कि देशभर के करीब 10 लाख बैंक कर्मी हड़ताल में शामिल होंगे। इसमें मप्र की 12 बैंकों की करीब 5000 शाखा में काम करने वाले 40 हजार से अधिक अधिकारी, कर्मचारी भी शामिल होंगे। यूनाइटेड फोरम के वीके शर्मा और अन्य का कहना है कि निजीकरण से बैंकों को भारी नुकसान होगा। यह नुकसान अकेले बैंकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि आम जनता पर भी इसका असर पड़ेगा।
फोरम के प्रतिनिधियों का दावा है कि बैंकों के निजीकरण के कारण बैंकों में पद खत्म किए जाएंगे। आउटसोर्स पर काम कराया जाने लगेगा। अभी भी कई बैंकों में ज्यादातर काम आउटसोर्स के भरोसे दे दिए गए हैं जो ग्राहकों की निजता के के खिलाफ है। आउटसोर्स कर्मचारियों को कम वेतन में रखकर उनका शोषण किया जा रहा है जो आगे बढ़ेगा। जब पद खत्म होंगे तो बेरोजगारी बढ़ेगी।
अभी जो अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं उनके भविष्य पर भी खतरा रहेगा। बैंकों को निजी हाथों में देने के बाद अधिकारी, कर्मचारियों को निकाला भी जा सकता है। सुविधाओं में कटौती की जानी तय है। बैंकों ने ग्राहकों की सभांवित परेशानियों को देखते हुए एटीएम में फुल कैश लोड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संबंधित बैंकों ने कैश लोड करने वाली टीमों को सतर्क रहने के लिए कहा है, ताकि कैश खत्म होने या किसी भी तरह की समस्या पैदा होने पर उसका तुरंत समाधान किया जा सके।