पिछले साल किसानों को उपज आने की शुरुआत में ही 4,000 रुपये प्रति क्विंटल मिलने लगे थे लेकिन इस बार दो से तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव ही मिल रहा है। ऐसे में लागत निकाल पाना भी किसानों के लिए मुश्किल नजर आ रहा है। इस वर्ष प्रदेश में सभी तरह के धान का उत्पादन देखा जाए तो यह लगभग 80 लाख टन हो सकता है। बता दें, धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपये प्रति क्विटंल हैं।
बीते वर्षों में प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन घटने और घाटे का सौदा साबित होने के कारण किसान धान की खेती की तरह बढ़े हैं। अब धान का उत्पादन क्षेत्र 40 लाख हेक्टेयर से अधिक पहुंच गया है। बासमती धान की खेती विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, हरदा, जबलपुर, नरसिंहपुर, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी और गुना जिले में अधिक होती है।
मध्य प्रदेश के बासमती धान को जीआई टैग नहीं मिलने के कारण अन्य राज्यों के बासमती की तुलना में कीमत कम मिलती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, नई दिल्ली आदि राज्यों के व्यापारी बासमती धान मंडियों से खरीदकर ले जाते हैं और प्रसंस्करण करके बेचते हैं।
वर्ष 2015 से वर्ष 2023 तक देखें तो प्रदेश से 12,706 करोड़ रुपये का चावल निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा 3,634 करोड़ रुपये का चावल निर्यात वर्ष 2023 में हुआ। इस बार मानसून अच्छा रहने के कारण धान का बंपर उत्पादन होने की पूरी संभावना है लेकिन किसान चिंतित हैं।
दरअसल, उन्हें बासमती धान का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। अभी मंडियों में दो से तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है साईंखेड़ा के किसान सौरभ दीक्षित का कहना है यदि भाव नहीं बढ़े तो लागत निकालनी मुश्किल होगी, क्योंकि अन्य धान की किस्मों की तुलना में बासमती का उत्पादन कम रहता है।
यह प्रति एकड़ औसतन 12 क्विंटल रहता है। जबकि, अन्य धान का उत्पादन 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। भोपाल ग्रेन आयल सीड मर्चेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन का कहना है कि बासमती के निर्यात पर प्रतिबंध तो हाल ही में हटा है, निर्यात शुल्क भी घटाया है लेकिन व्यापारियों की रुचि अब बासमती खरीद में कम है इसलिए अधिक कीमत पर बासमती धान लेकर रखने से हिचक रहे हैं।