संसद सत्र शुरू होने से आधे घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया। दरअसल, कल यानी 25 जून को देश में आपातकाल के 50 साल पूरे हो रहे हैं।
PM ने कहा- 25 जून न भूलने वाला दिन है। इसी दिन संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। भारत को जेलखाना बना दिया गया था। लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था।
उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी।
प्रधानमंत्री ने 14 मिनट 28 सेकेंड के भाषण में इमरजेंसी के अलावा, नए संसद भवन, नए सांसदों, जिम्मेदार विपक्ष, तीसरे कार्यकाल, विकसित भारत पर अपनी बात रखी।
5 पॉइंट्स में मोदी की पूरी स्पीच...
1. इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर
मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा- कल 25 जून हैं। जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा को समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है। भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, भारत को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था।
इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी ये संकल्प करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था। हम संकल्प करेंगे जीवंत लोकतंत्र का, भारत के संविधान के अनुसार जन सामान्य के सपनों को पूरा करने का।
2. संसद में विपक्ष की भूमिका पर
सांसदों से भी देश को बहुत अपेक्षाएं हैं। सांसदों से अनुरोध करूंगा कि जनहित और लोकसेवा के लिए इस मौके का उपयोग करें। हर संभव कदम जनहित में उठाएं। देश को जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है। लोग नारे नहीं, सार्थकता चाहते हैं, वे संसद में डिस्टर्बेंस नहीं, बल्कि चर्चा और मेहनत चाहते हैं।
हम मानते हैं कि सरकार चलाने के लिए बहुमत होता है लेकिन देश चलाने के लिए सहमति बहुत जरूरी होती है। इसलिए हमारा प्रयास सबकी सहमति और सबको साथ लेकर चलने की होगी। देश की जनता विपक्ष से अच्छे कदमों की अपेक्षा रखती है। अब तक जो निराशा मिली है, शायद 18वीं लोकसभा में विपक्ष देश के सामान्य नागरिकों की अपेक्षा पर इस बार खरा उतरेगा।
3. युवा सांसदों की संख्या पर
हमारे लिए खुशी की बात है 18वीं लोकसभा में युवा सांसदों की संख्या अच्छी है। जब हम 18 की बात करते हैं तो जो हमारी परंपरा को, संस्कृतिक विरासत को जानते हैं, उन्हें पता है हमारे यहां 18 अंक का बहुत सात्विक मूल्य है। गीता के 18 अध्याय हैं। कर्म, कर्तव्य और करुणा का संदेश हमें वहां से मिलता है।
हमारे यहां पुराणों और उप-पुराणों की संख्या भी 18 है। 18 का मूलांक 9 है। 9 पूर्णता की गारंटी देता है। पूर्णता का प्रतीक अंक है। 18 की उम्र में हमारे यहां मताधिकार मिलता है। 18वीं लोकसभा भारत के अमृतकाल की है। इसका गठन शुभ संकेत है।
4. केंद्र में भाजपा के तीसरे कार्यकाल पर
विश्व का सबसे बड़ा चुनाव शानदार, गौरवमय तरीके से संपन्न होना गर्व की बात है। ये इसलिए भी अहम है क्योंकि आजादी के बाद 60 साल में दूसरी बार किसी सरकार को लगातार तीसरी बार जनता ने सेवा का मौका दिया है। जनता ने तीसरे कार्यकाल के लिए भी एक सरकार को पसंद किया है मतलब उसकी नीयत पर, नीतियों पर, जनता जनार्दन के प्रति उसके समर्पण भाव पर मुहर लगाई है।
देश ने हमें तीसरा मौका दिया है। इसलिए हमारा दायित्व भी तीन गुना बढ़ जाता है। इसलिए मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपने जो हमें तीसरी बार मौका दिया है। दो बार का अनुभव हमारे पास है। मै विश्वास दिलाता हूं कि हमारे तीसरे कार्यकाल में हम पहले से तीन गुना ज्यादा मेहनत करेंगे। हम परिणामों को तीन गुना ज्यादा लाकर रहेंगे।
5. विकसित भारत के संकल्प पर
संसद का ये गठन भारत के सामान्य मानवों के संकल्पों की पूर्ति का है। नई गति नई ऊंचाई हासिल करने का महत्वपूर्ण अवसर है। श्रेष्ठ भारत निर्माण का, विकसित भारत 2047 के संकल्प लेकर आज 18वीं लोकसभा का प्रारंभ हो रहा है।
खड़गे बोले- हार के बावजूद मोदी का अहंकार नहीं गया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा सत्र की शुरुआत से पहले दिए पीएम मोदी के बयान पर कहा कि कई सीटें हारने के बावजूद उनका अहंकार नहीं गया। खड़गे ने कहा- वे इसे 100 बार दोहराएंगे। बिना इमरजेंसी लगाए वे उसी तरह से काम कर रहे हैं। इस मुद्दे को उठाकर कब तक सरकार चलाएंगे। उन्होंने NEET, मणिपुर हिंसा या पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसे का जिक्र नहीं किया।
खड़गे ने X पर एक पोस्ट में लिखा- "सर, आप विपक्ष को सलाह दे रहे हैं। आप हमें 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, लेकिन पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए हैं, जिसे लोगों ने खत्म किया है। लोगों ने मोदी जी के खिलाफ अपना जनादेश दिया है। इसके बावजूद, अगर वे प्रधानमंत्री बने हैं, तो उन्हें काम करना चाहिए। लोगों को नारों की नहीं, बल्कि तथ्यों की जरूरत है, इसे आप खुद याद रखें।"