सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (16 जुलाई) को बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सुनवाई करेगा। याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जाए, जिसमें सभी 25 हजार नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है।
इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने पूछा था कि क्या 25 हजार नियुक्तियों में से सही तरीके से किए गए टीचर्स के अपॉइंटमेंट को अलग किया जा सकता है?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था, देखिए इसे किस तरह से किया गया। ओएमआर शीट को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। जो लोग पैनल में नहीं थे, उन्हें रिक्रूट किया गया। यह फ्रॉड है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को 2016 में की गई 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों को 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी 12% इंटरेस्ट के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए। इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया है।
पिछली सुनवाई की CJI की 3 टिप्पणियां
ओएमआर शीट नष्ट कर दी गईं। क्या ऐसे में सही तरह से किए गए अपॉइंटमेंट को अलग किया जा सकता है।
यह सारी चीजें आपको बतानी होंगी कि क्या अब जो दस्तावेज मौजूद हैं, उनके आधार पर सही और गलत नियुक्तियों को अलग-अलग किया जा सकता है। यह पता लगाया जा सकता है कि इस घोटाले का फायदा किसे पहुंचा।
25 हजार बहुत बड़ी संख्या है। 25 हजार नौकरियां ले ली गईं, ये बड़ी बात है, जब तक कि हम यह ना जान लें कि सब कुछ धोखाधड़ी से भरा हुआ था। हम इस पर 6 मई को सुनवाई करेंगे।
बंगाल सरकार ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सैलरी देंगे
बंगाल सरकार ने कहा कि वह उन सभी 25,753 शिक्षकों और नॉन टीचिंग स्टाफ को वेतन का भुगतान करेगी, जिनकी नियुक्तियां रद्द की गई हैं। राज्य सरकार ने कहा कि सभी कर्मचारियों ने लगभग लंबे समय तक काम किया है। इसलिए मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सभी को सैलरी दी जाएगी।