पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार सुबह राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस के जवानों को तुरंत परिसर खाली करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक गवर्नर बोस राजभवन के नॉर्थ गेट के पास पुलिस चौकी को जनमंच में बनाने की योजना बना रहे हैं।
हालांकि, पुलिस को हटाने का आदेश उस घटना से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें राजभवन में तैनात पुलिस कर्मियों ने चुनाव हिंसा पीड़ितों को गवर्नर से मिलने से रोक दिया था।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल का कहना है कि पुलिस उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रही है और वे उनके आस-पास सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।
पुलिस ने चुनावी हिंसा पीड़ितों को गवर्नर से मिलने से रोका था
दरअसल पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता पुलिस को लेटर लिखकर 19 जून को हिंसा पीड़ितों के साथ राजभवन के पास धरना देने की इजाजत मांगी थी। उन्होंने लिखा- अगर एक क्षेत्रीय पार्टी को राजनीतिक कार्यक्रम करने की इजाजत मिल सकती है तो भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी को भी यह इजाजत मिलनी चाहिए।
इसके बाद, 13 जून को पुलिस ने भाजपा लीडर और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और चुनावों के बाद जारी हिंसा के पीड़ितों को राज भवन जाने से रोका था। पुलिस ने कारण दिया था कि राज भवन के आसपास सेक्शन 144 लागू है, इसलिए वहां किसी तरह का प्रदर्शन या धरना नहीं हो सकता
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा- क्या गवर्नर को हाउस अरेस्ट में रखा है
सुवेंदु अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की। शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि अगर राजभवन की तरफ से इजाजत मिलती है तो सुवेंदु अधिकारी और हिंसा पीड़ित लोग गवर्नर से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
जस्टिस अमृता सिन्हा की सिंगल बेंच ने पश्चिम बंगाल के एडवोकेट जनरल से यह भी पूछा था कि क्या गवर्नर को हाउस अरेस्ट में रखा गया है। अगर ऐसा नहीं है तो इन लोगों को राजभवन जाकर गवर्नर से मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा है।
बोस ने कहा था- ममता सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही
गवर्नर बोस ने 14 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मैंने इन सभी लोगों को राज भवन आने और मुझसे मिलने की लिखित इजाजत दी थी, इसके बावजूद उन्हें राज भवन आने से रोका गया। मैं यह जानकर हैरान हूं कि कुछ कारण बताकर इन सभी लोगों को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोका गया।'
गवर्नर ने कहा, 'मुख्यमंत्री संवैधानिक नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकती हैं। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करे। राज्य में मौत का तांडव हो रहा है। पंचायत चुनावों के दौरान मैंने अपनी आंखों से देखा है। मैं राज्य में कई जगह गया था। इन चुनावों में भी हिंसा, हत्या, डराने-धमकाने के कई मामले सामने आए हैं। यह जारी नहीं रह सकता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'सबसे खराब बात यह है कि जब गरीब लोग मुझसे मिलकर अपनी परेशानी बताने आए तो उन्हें रोक दिया गया। मैं जनता का गवर्नर बनना चाहता हूं, इसलिए मैं लोगों से मिलता हूं, उनके साथ वक्त बिताता हूं। सरकार को अपनी ड्यूटी पूरी करनी होगी। अगर सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाती है तो संविधान को अपना कर्तव्य निभाना पड़ेगा।'