संसद में बजट पर चर्चा के दौरान 25 जुलाई को भी हंगामा जारी रहा। लोकसभा में भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय की एक दिन पहले की टिप्पणी पर विवाद की स्थिति बनी रही। विपक्ष गंगोपाध्याय से माफी की मांग कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी ही पार्टी के सदस्य की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गंगोपाध्याय ने भाषा का गलत इस्तेमाल किया। कोई सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, तो यह दुख की बात है।
दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज और पश्चिम बंगाल से सांसद गंगोपाध्याय संसद सत्र के दूसरे दिन आर्थिक विषयों पर बोल रहे थे। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने टिप्पणी की। इस पर गंगोपाध्याय ने कहा कि विद्वान सदस्यों को इसकी (आर्थिक विषयों) जानकारी नहीं है, उन्हें और सीखना चाहिए।
इसी दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘गोडसे’ को लेकर टिप्पणी की। इस पर गंगोपाध्याय ने कहा कि मूर्खों की तरह बात मत करो। इसके बाद सदन में हंगामा हो गया। विपक्षी सदस्यों गंगोपाध्याय के कहे शब्द का विरोध किया।
इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कहा कि वे जो आदेश देंगे, उसे सभी को मानना चाहिए। सदस्य अपनी बात रखें, चर्चा में भाग लें, लेकिन ऐसी टिप्पणी न करें जो संसदीय परंपराओं के अनुकूल न हो। इसके बाद गंगोपाध्याय के विवादित शब्द को रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी और भाजपा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू में बहस
गुरुवार को लंच के बाद जब लोकसभा दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी और भाजपा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू की बहस हो गई। चन्नी ने बिट्टू के दादा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का जिक्र किया।
चन्नी ने कहा कि बिट्टू आपके दादा शहीद हुए थे। लेकिन उस दिन उनकी मौत हुई, जिस दिन आपने कांग्रेस छोड़ी। इस पर बिट्टू ने कहा कि मेरे दादा सरदार बेअंत सिंह ने कांग्रेस नहीं, देश के लिए कुर्बानी दी थी।
बिट्टू ने आगे कहा कि चन्नी गरीबी की बात कर रहे हैं, लेकिन वे पंजाब के सबसे अमीर आदमी हैं। अगर वे पंजाब के सबसे अमीर और भ्रष्ट आदमी नहीं हैं तो मैं अपना नाम बदल लूंगा। इस बीच चन्नी ने गोरी चमड़ी को लेकर कुछ कहा तो बिट्टू ने सोनिया गांधी पर टिप्पणी की। इस पर हंगामा हुआ।
अमृतपाल के समर्थन में उतरे चन्नी, भाजपा ने घेरा
पंजाब के पूर्व सीएम और जालंधर से कांग्रेस सांसद ने कहा कि पंजाब में सिद्धू मूसेवाला जैसे युवाओं को मारा जा रहा है। किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है। मणिपुर हिंसा, हाथरस रेप केस, पहलवानों से हिंसा सब इमरजेंसी ही है।
चन्नी ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग 1975 के आपातकाल की बात करते हैं, पर एक निर्वाचित सांसद को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में रखा जाना ‘अघोषित आपातकाल’ है। इस पर भाजपा ने कहा कि चन्नी जेल में बंद चरमपंथी अमृतपाल का जिक्र कर रहे थे। इससे साबित होता है कि कांग्रेस खालिस्तानियों के साथ है।
विवाद बढ़ते देख कांग्रेस ने इस बयान से किनारा किया। गुरुवार रात पार्टी नेता जयराम रमेश ने एक्स में पोस्ट में कहा- चरणजीत सिंह चन्नी के व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं। इससे कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है।